
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफ्रीका के नामीबिया से लाये गये आठ चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा है। पार्क में इन चीतों को रखने के लिए विशेष इंतजाम किये गये हैं। अभी 30 दिन तक ये चीते बाड़े में ही क्वारंटीन रहेंगे। इस दौरान अगर सबकुछ ठीक रहा तो इन्हें जंगल में छोड़ दिया जाएगा। शनिवार को कूनो पहुंचे चीतों का जोरदार स्वागत किया गया। इस बीच एक ऐसी प्रजाति की वापसी हुई है, जो 70 साल पहले भारत से लुप्त हो गई थी। ये स्थानांतरण कार्यक्रम अपनी तरह का दुनिया का सबसे बड़ा महाद्वीपीय संरक्षण प्रयोग है, जिसका उद्देश्य चीते को उसकी पुरानी रेंज में बसाना है। सरकार का मानना है कि इससे भारत के ग़ायब होते ग्रास ईको-सिस्टम्स के संरक्षण में भी सहायता मिल सकेगी।
भारत से चीतों के विलुप्त होने का मुख्य कारण उनका शिकार होना माना जाता है। क्योंकि भारत में ब्रिटिश सरकार ने चीते को हिंसक जानवर घोषित कर दिया था और इसको मारने वालों को पुरस्कार दिया जाने लगा। इससे पहले यहां चीतों को पालतू जानवर बनाकर रखा जाता था। उस समय राजा और जमींदार शिकार के समय चीतों का इस्तेमाल करके दूसरे जानवरों को पकड़ते थे। तब इन्हें पिजरों में नहीं बल्कि जंजीरों में बांधकर रखा जाता था। अपनी तेज गति व बाघ व शेर की तुलना में कम हिंसक होने की वजह से इसको पालना आसान था।

चीतों को भारत लाने के पक्ष में क्या बोले एक्सपर्ट्स
नामीबिया से चीतों को भारत में लाने पर एक्सपर्ट्स एकमत नहीं हैं। कुछ इसे सही फैसला करार देते हैं तो कई वैज्ञानिक चिंता भी जाहिर कर रहे हैं। जंगली जीवों के संरक्षण के लिए काम करने वाले वैज्ञानिक अर्जुन गोपालस्वामी का मानना है कि आजाद माहौल में रहने वाले चीतों के लिए अब खुले में रहना आसान नहीं होगा। उन्होंने कहाकि भारत में चीतों के खत्म होने के पीछे कुछ वजहें थीं। इनमें सबसे बड़ी वजह थी बढ़ती आबादी, जिसके चलते जंगल और सिकुड़ते गये। बीते 70 वर्षों में यह स्थिति सुधरी नहीं, बल्कि और बिगड़ गई है। वहीं, सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ स्टडीज के एमेरिटस डायरेक्टर उल्लास करंथ ने नेशनल ज्योग्राफिक से बातचीत के दौरान कहा कि चीतों को ऐसी जगह पर रखा जा रहा है, जहां हर वर्ग किमी पर 360 लोग रहते हैं। यानी इससे चीतों की आजादी पर बड़ा खतरा है।

बोले केंद्रीय मंत्री
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक लेख में लिखा है, जिसमें उन्होंने चीतों को भारत लाने के फैसले को उन गलतियों को सुधारने की दिशा में एक कदम बताया है, जिनकी वजह से कभी भारत में यह जीव विलुप्त हो गए थे। उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है, इससे पहले भी भारत ने कई ऐसी प्रजातियों को बचाया है, जो विलुप्त होने की कगार पर थीं। इनमें बाघ, शेर, एशियाई हाथी, घड़ियाल और एक सींग वाले गैंडे शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चीतों को भारत लाना देश में ऐतिहासिक विकासवादी संतुलन को बनाए रखने की ओर अहम कदम साबित होगा।