
लखनऊ. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के डॉक्टरों ने एक 36 वर्षीय महिला को नया जीवन दान दिया। दरअसल महिला ने गलती से बैटरी का पानी पी लिया था, जिसने उसके फूट पाइप व पेट के एक हिस्से को पूरी तरह से डैमेज कर दिया था और उसका बचना नामुमकिन था। लेकिन केजीएमयू के डॉक्टरों ने चमत्कारी तरीके से उसे बचा लिया।
गोंडा निवासी महिला को दिसंबर में केजीएमयू के जनरल सर्जरी विभाग लाया गया था। डॉ. कुमार ने कहा, “मरीज को तत्काल सर्जरी की आवश्यकता थी, लेकिन यह नहीं किया जा सकता क्योंकि निशान ताजा थे। इसलिए, पहले जेजुनोस्टॉमी प्रक्रिया का उपयोग करके सीधे छोटी आंत में एक ट्यूब डाली गई, ताकि इसके माध्यम से उसे भोजन और दवा दी जा सके।”
उन्होंने आगे कहा कि दो महीने की दवा ने धीरे-धीरे भोजन नली में घाव को ठीक कर दिया, लेकिन निशान के कारण होने वाला संकुचन अभी भी बना हुआ है। अन्नप्रणाली को भोजन सेवन के लिए उपयुक्त बनाने के लिए, हमने पहले एंडोस्कोपिक फैलाव करने की कोशिश की, जिसमें उपयोग की जाने वाली ट्यूब के माध्यम से संकुचित क्षेत्र को फैलाया जाता है।हालांकि, यह काम नहीं आया।
इसके बाद, डॉक्टरों ने एसोफैगो कोलोप्लास्टी करने का फैसला किया जिसमें कोलन (बड़ी आंत) का एक हिस्सा काट दिया गया और गले को ऊपरी आंत के मध्य भाग से जोड़ने के लिए इस्तेमाल किया गया। इसने क्षतिग्रस्त अन्नप्रणाली और पेट को दरकिनार करते हुए एक वैकल्पिक भोजन नली के रूप में काम किया। पाचन के बाद अपशिष्ट के प्रवाह को बनाए रखने के लिए कोलन के दो छोर जहां से खंड काटा गया था, को जोड़ा गया।
यह सर्जरी 21 मार्च को जनरल सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पंकज कुमार के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने की थी। डॉ सौरभ कुमार, डॉ जूही राजपूत और डॉ अपर्णा भी टीम का हिस्सा थे। बुधवार को पूरी तरह से ठीक होने के बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया। डॉक्टरों ने कहा कि केजीएमयू में पहली बार इस तरह की जटिल सर्जरी की गई।
डॉक्टरों ने कहा कि ऑपरेशन जटिल था क्योंकि, अगर आंत के किसी भी हिस्से में कोई रिसाव होता, तो यह घातक हो सकता था। सर्जरी के दौरान कोलन में रक्त के पर्याप्त प्रवाह को बनाए रखने के लिए उचित सावधानी बरती गई क्योंकि किसी भी क्षति के कारण दिल या फेफड़े फेल हो सकते थे। हेड, जनरल सर्जरी, प्रोफेसर अभिनव अरुण सोनकर ने कहा कि मरीज अब सामान्य जीवन जीने के लिए फिट है।