नई दिल्ली. Azaan Loudspeaker Controversy- मस्जिदों में लाउडस्पीकर के मुद्दे को लेकर पूरे देश में हो-हल्ला मचा हुआ है। इस मुद्दे को हवा महाराष्ट्र से मिली है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने को लेकर शिवसेना की अगुआई वाली महा विकास आघाड़ी सरकार को अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा कि अगर तीन मई से पहले मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटाए जाते तो वो मनसे कार्यकर्ता सार्वजनिक रूप से मस्जिदों के बाहर ऊंचे स्वर में हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से भी इस मामले में दखल देने की मांग की है। इसी कड़ी में मनसे कार्यकर्ताओं ने शनिवार को शिवसेना के सामना ऑफिस के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया।
महाराष्ट्र से शुरू हुआ मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने का विवाद अब धीरे-धीरे दूसरे राज्यों में भी फैलने लगा है। यूपी, गोवा, कर्नाटक, बिहार सहित कई राज्यों में हिंदू संगठनों ने लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बंद करने के लिए कहा है। वहीं, पीएफआई यानी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मतीन शेखानी ने हमें छेड़ोगे तो हम भी छोड़ेंगे नहीं। उन्होंने आगे कहा कि लाउडस्पीकर पर हाथ लगाया तो पीएफआई सबसे पहले खड़ी नजर आएगी। मुंब्रा पुलिस ने अब्दुल मतीन शेखानी के खिलाफ बिना अनुमति सभा करने और कथित रूप से वहां भड़काऊ भाषण देने के मामले में केस दर्ज कर लिया है। उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 और महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 37 (3) और 135 के तहत केस दर्ज किया गया है।
लाउडस्पीकर विवाद ने लिया मजहबी रंग
मनसे प्रमुख राज ठाकरे की चेतावनी के बाद लाउडस्पीकर विवाद ने मजहबी रंग ले लिया है। दूसरे राज्यों में भी लाउडस्पीकरों को उतारने की मांग की जाने लगी है। मस्जिदों में लाउडस्पीकर का मुद्दा पहले भी विवादों के घेरे में रहा है। इसे लेकर नियम तय किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले पर आदेश दे चुका है।
क्या है लाउडस्पीकर बजाने का नियम?
नियमों के मुताबिक, रात में 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर बजाने पर रोक है। हालांकि, बंद स्थानों में इसे बजा सकते हैं। इनमें ऑडिटोरियम, कम्यूनिटी हॉल, कॉन्फ्रेंस हॉल और बैंक्वेट हॉल शामिल हैं। हालांकि, कुछ विशेष मौकों पर राज्य चाहें तो इसकी टाइमिंग में छूट दे सकते हैं। वो इसे रात 10 बजे से बढ़ाकर 12 बजे तक कर सकते हैं। लेकिन, ऐसा सिर्फ साल में 15 दिन ही किया जा सकता है। इसके अलावा सबसे जरूरी बात यह है कि सार्वजनिक स्थानों पर लाउड स्पीकर का इस्तेमाल करने से पहले प्रशासन की लिखित मंजूरी लेना जरूरी होता है।
सुप्रीम कोर्ट भी दे चुका है आदेश
अक्टूबर 2005 में सुप्रीम कोर्ट एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा था कि राज्य चाहें तो साल में 15 दिन कुछ खास अवसरों पर 12 बजे तक लाउडस्पीकर बजाने की इजाजत दी जा सकती है। इसके अलावा भी लाउडस्पीकर पर हाईकोर्ट के फैसले आये हैं। जुलाई 2019 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पब्लिक प्लेस और धार्मिक जगहों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। 2018 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बैन कर दिया था। वहीं, इससे पहले अगस्त 2016 में बाम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ तौर पर कहा था कि लाउडस्पीकर बजाना किसी भी धर्म में जरूरी हिस्सा नहीं है।
साइलेंस जोन में नहीं बजा सकते लाउडस्पीकर
संविधान में नॉइज पॉल्यूशन (रेगुलेशन एंड कंट्रोल) रूल्स, 2000 का प्रावधान है। इसका मकसद ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश लगाना है। इन नियमों के अनुसार, साइलेंस जोन के 100 मीटर के दायरे में लाउडस्पीकर नहीं बजाया जा सकता है। इनमें अस्पताल, कोर्ट और शैक्षणिक संस्थान शामिल हैं। रिहायशी इलाकों में साउंड का स्तर दिन में 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल तक ही रह सकता है। यह बात हुई भारत की, चलिए जानते हैं दूसरे मुल्कों में लाउडस्पीकर बजाने को लेकर क्या हैं नियम? और यह परम्परा कब से शुरू हुई?
क्या हैं दुनिया के इस्लामिक मुल्कों में नियम?
इसी साल फरवरी 2022 में इंडोनेशिया में एक सर्कुलर जारी हुआ था, जिसमें लाउडस्पीकर की लिमिट को 100 डेसिबल तय किया गया था। इसके अलावा कुरान की आयतों को पढ़ने का वक्त 15 मिनट से घटाकर 10 मिनट किया गया था। वहीं, इससे पहले मई 2021 में सउदी अरब में एक कानून आया था, जिसमें मस्जिदों में लाउडस्पीकरों पर बैन लगाया गया था। हालांकि, आदेश में यह भी कहा गया था कि अगर लाउडस्पीकरों की आवाज मस्जिद तक सीमित रहे तो उस स्थिति में कोई कार्रवाई नहीं होगी।
नमाजियों को बुलाने के लिए रखे जाते थे मुअज्जिन
नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक, लाउड स्पीकरों के वजूद में आने से पहले मस्जिदों में मुअज्जिनों को रखा ही इस काम के लिए जाता था कि वो नमाज के वक्त नमाजियों को बुलाएं। और तब अजान देने वाले मुअज्जिन मीनारों और ऊंची दीवारों पर चढ़कर जोर-जोर से आवाज लगाकर नमाजियों को नमाज के लिए बुलाते थे। बाद में इसी काम को लाउडस्पीकरों के जरिये किया जाने लगा।
…तो खत्म हो जाएगी दो समुदायों के बीच वैमनस्यता?
इस बीच अयोध्या पहुंचे विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा, हनुमान चालीसा से अजान की तुलना करना गलत है। हनुमान जी सर्वोच्च हैं। देश में उनकी भक्ति और आदर्श लोगों के सामने आने चाहिए। यकीनन अगर लोग हनुमान जी के आदर्श अपना लें तो फिर निश्चित ही दो समुदायों के बीच की वैमनस्यता खत्म हो जाएगी, क्योंकि भक्ति में हिंसा का स्थान नहीं है।