
रिपोर्ट- अतुल कुमार
बाराबंकी. कहने को तो प्रदेश भ्रष्टाचार मुक्त है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा और रामराज की परिकल्पना को भ्रष्टाचारी पतेला लगाने से बाज नहीं आ रहा है सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय का बाबू आशीष यादव। आशीष यादव की मनमानी का आलम यह है कि पूर्व एआरएम आर एस वर्मा के समय पर जब चाहता संविदा परिचालक की संविदा समाप्त करवा देता, मंथली न मिलने पर अनुबंधित बसों को नान स्टाप कराकर मोटर मालिकों से वसूली में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता। लेकिन वह कहावत है न कि कर्म पीछा नहीं छोड़ते। आज नहीं तो कल हमारे काले कारनामों का चिष्ठा किसी न किसी रूप में सामने आ जाता है, और इस बाबू की करतूतों की पोल वायरल हो रहे एक ऑडियो से हुई जिसमें भुगतभोगी स्पष्ट तौर पर अपनी मजबूरी को पूछने पर बता रहा है। लेकिन डरता इस बात से है कि वह संविदा का परिचालक है और वह बाबू नियमित कर्मचारी है। लिखा-पढ़ी उनके हाथ में रहती है। उक्त बात की सच्चाई भ्रष्टाचार पंजिका में चार बिना टिकट यात्रियों के लिए दंडित वासुदेव परिचालक के सम्मुख विभागीय अंकन व वेतन कटौती से की भी जा सकती है।
सुनें वायरल ऑडियो…
अब देखना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश के सपने को साकार करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के आला अधिकारी क्या कदम उठाते हैं या फिर इस भ्रष्टाचार पर भी सिर्फ और सिर्फ ट्वीट-ट्वीट खेलकर मामला रफा-दफा करते हैं। बात सिर्फ परिचालक, मोटर मालिक के साथ भ्रष्टाचार करने तक ही सीमित नहीं रह जाती। बात तो दबी जुबां से में यहां तक निकल कर आयी है कि इसकी खुद की नौकरी मृतक आश्रित अनुकम्पा की है जोकि परिवहन निगम नियमावली को ताख पर रख कर दी गयी है, जिसे पदासीन ही भ्रष्टाचार की सीढ़ियों पर चढ़कर किया गया हो वह न्याय कहां करेगा।