
देहरादून. CM Pushkar Dhami: साइंस सिटी के उत्तराखंड (Uttarakhand Science City) में निर्माण का सपना पूरा होने जा रहा है। देश की पांचवीं साइंस सिटी उत्तराखंड में बनेगी और इसका निर्माण देहरादून के झाझरा में होने जा रहा है। दरअसल यहां पर अभी विज्ञान धाम के रूप में रीजनल साइंस सेंटर (Regional Science City) स्थापित है।
सीएम पुष्कर धामी की मेहनत लाई रंग
आपको बता दें कि साइंस सिटी के निर्माण के लिए उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) ने बजट जारी कर दिया है। सरकार द्वारा प्रारंभिक चरण के कार्यों के लिए 15 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। साइंस सिटी के लिये बजट जारी कराने में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Dhami) की अहम भूमिका रही। क्योंकि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भी उन्हीं के पास है और केंद्र सरकार के साथ लगातार बातचीत से इस साझी परियोजना के बजट का रास्ता साफ हो सका।
चार साल पहले मिली थी मंजूरी
उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकास्ट) (Uttarakhand State Council of Science and Technology- UCST) के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने बताया कि केंद्र सरकार ने करीब चार साल पहले साइंस सिटी को मंजूरी दी थी। लेकिन बजट के अभाव में बात आगे नहीं बढ़ पाई थी। पिछले साल साइंस सिटी के निर्माण के लिए प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी। जिसके बाद अब बजट भी जारी हो गया है।
जल्द शुरू होगा निर्माण
उन्होंने बताआ कि अब जल्द ही साइंस सिटी का निर्माण शुरू करवा दिया जाएगा। परियोजना का कुल बजट करीब 172 करोड़ रुपये है। कुल बजट का 60 प्रतिशत भाग केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय वहन करेगा, जबकि 40 प्रतिशत बजट राज्य सरकार मुहैया कराएगी। इसका निर्माण रीजनल साइंस सेंटर की जगह को मिलाकर कुल 25 एकड़ में किया जाएगा।
देश की साइंस सिटी
पश्चिम बंगाल (कोलकाता)
असम (गुवाहाटी)
गुजरात (अहमदाबाद)
पंजाब (कपूरथला)
साइंस सिटी के फायदे
साइंस सिटी में विज्ञान के कई मॉडल के माध्यम से पर्यावरणीय और भौगोलिक घटनाओं को बताया जाएगा। साथ ही विज्ञान के अलग-अलग अनुप्रयोगों को आसान मॉडल से समझाया जाएगा। जीवन में जो बातें और घटनाएं आम जीवन का हिस्सा हैं, उनके वैज्ञानिक पहलुओं को प्रायोगिक तौर पर बताया जाएगा। जिससे छात्रों समेत सभी वर्ग के नागरिकों को विज्ञान की बारीकियों को समझने में मदद मिलेगी और उनकी रुचि भी बढ़ेगी। इसके अलावा साइंस सिटी में प्रदेश की संस्कृति और उनके वैज्ञानिक महत्व को भी बताया जाएगा।