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UP Assembly Elections Result 2022: हर बार सच साबित नहीं होते हैं एग्जिट पोल, कभी सटीक तो कभी हुए फेल, इसलिए अनुमान पर उठ रहे सवाल?

लखनऊ. UP Assembly Elections Result 2022– उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के फाइनल नतीजे 10 मार्च को आएंगे, लेकिन अलग-अलग एजेंसियों ने अपने एग्जिट पोल्स जारी कर दिये हैं। ज्यादातर अनुमानों में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है। पंजाब में आम आदमी पार्टी कांग्रेस से सत्ता छीनती दिख रही है। उत्तराखंड में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला बताया जा रहा है। गोवा में त्रिशंकु विधानसभा के आसार बन रहे हैं वहीं, मणिपुर में भी बीजेपी की स्पष्ट बहुमत की सरकार बनती दिख रही है। लेकिन, एक बड़ा वर्ग एग्जिट पोल्स की राय से इत्तेफाक नहीं रखता, खासकर यूपी में। उनका मानना है कि यूपी में बीजेपी की राह इतनी आसान नहीं है। वह सही हैं या गलत, यह 10 मार्च को ही पता चलेगा। लेकिन, इस बीच सवाल तो बनता है कि क्या 10 मार्च को एग्जिट पोल्स गलत साबित होंगे? या फिर से यूपी की सत्ता पर बीजेपी काबिज होगी?

एग्जिट पोल्स यूपी में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने की बात कह रहे हैं। उनके मुताबिक, इस बार कांग्रेस और बसपा की दुर्गति तय है। एग्जिट पोल में इन दोनों पार्टियों का वोट शेयर काफी घट जाने की भविष्यवाणी की गई है, खासकर बहुजन समाज पार्टी को तगड़ा नुकसान बताया गया है। पिछले कई चुनावों का आंकलन करें तो बसपा भले ही सीटें कम जीती है, लेकिन वोट प्रतिशत कभी नहीं कम नहीं रहा। 2002 से लेकर 2012 के बीच चाहे विधानसभा चुनाव हों या फिर लोकसभा चुनाव बसपा के पास कम से कम 24 फीसदी के करीब वोट रहे ही हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा एक भी सीट नहीं जीत पाई, बावजूद उसे 19.71 फीसदी वोट मिले थे। 2017 में बसपा ने 19 जबकि सपा ने 47 सीटें जीती थी, पर बसपा को मिला कुल वोट प्रतिशत समाजवादी पार्टी से कहीं ज्यादा रहा था। 2017 में सपा को 21.8 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि बसपा को 22.2 प्रतिशत वोट मिले थे। लेकिन, एग्जिट पोल की मानें तो इस बार सपा को मात्र 13 फीसदी ही वोट मिलेंगे, जो पिछली बार के मुकाबले करीब 10 फीसदी कम हैं।

जानें- क्या होते हैं एग्जिट पोल?
कई न्यूज चैनल व सर्वे करने वाली एजेंसियां पोल करवाती हैं। चुनावों के दौरान लोगों से पूछा जाता है कि उन्होंने किसे वोट दिया है और उनकी राय के आधार पर कैलकुलेट किया जाता है कि किस दल को कितनी सीटें मिल सकती हैं। इसे ही एक्जिट पोल कहा जाता है। इनका एक सैंपल साइज होता है, जैसे मान लीजिए उन्होंने एक लाख लोगों से बात की और उनकी राय के आधार पर आखिर रिपोर्ट तैयार की गई। एजेंसियां हर सीट के हिसाब से कुछ लोगों से बात करती हैं और उसके आधार पर नतीजों का अंदाजा लगाया जाता है। सीएसडीएस के निदेशक संजय कुमार कहते हैं कि मतदाता जो वोट देकर पोलिंग बूथ से बाहर निकलते हैं उनसे बात की जाती है। सर्वे में कई सवाल मतदाता से पूछे जाते हैं लेकिन उनमें सबसे अहम सवाल होता है कि आपने वोट किसे दिया है। हजारों वोटर्स से इंटरव्यू करके आंकड़े जुटाए जाते हैं। इन आंकड़ों का विश्लेषण करके ये वोटिंग का अनुमान निकालते हैं यानी ये पता लगाते हैं कि इस पार्टी को कितने प्रतिशत वोटरों ने वोट किया है। एग्जिट पोल करने, आंकड़े जुटाने और उन आंकड़ों को कैल्कुलेट करने की एक लंबी मेहनत और प्रक्रिया होती है।

पहले भी धराशायी हुए हैं एग्जिट पोल के आंकड़े
एग्जिट पोल का अनुमान कई बार चुनावी नतीजों से मेल खाते हैं और कभी बिल्कुल उलट भी साबित होते हैं। पश्चिम बंगाल, बिहार, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के बीते विधानसभा चुनावों में एग्जिट पोल पूरी तरह धराशायी साबित हुए हैं, 2004 के लोकसभा चुनाव में भी एग्जिट पोल पूरी तरह गलत साबित हुए थे। इस बार भी एग्जिट पोल सवालों के घेरे में है। राजनीतिक विश्लेषक आशीष पांडेय कहते हैं कि अगर एग्जिट पोल के नतीजे सही हैं तो यूपी की जनता ने तमाम मुद्दों को दरकिनार करते हुए सुशासन और राशन के मुद्दे को प्राथमिकता दी है। साथ ही राष्ट्रवाद और हिंदुत्व जैसे मुद्दों पर खुलकर वोट किया है। वहीं, अखिलेश यादव सहित पूरा विपक्ष बीजेपी को घेरने में कामयाब नहीं हो सका है।

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का कल आएगा रिजल्ट
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का परिणाम कल यानी 10 मार्च को आएगा। सबकी नजर यूपी विधानसभा चुनावों के परिणाम पर है। मतगणना सुबह 8 बजे से शुरू हो जाएगी। सबसे पहले पोस्‍टल बैलेट के वोट गिने जाएंगे। काउंटिग के दौरान कर्मचारियों को मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं होगी। कड़ी निगरानी में वोटों की गिनती कराई जाएगी।