
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में क्षय रोग यानी टीबी के खिलाफ जंग जारी है। चिकित्सकों का कहना है कि सही पोषण और मरीजों की बेहतर देखरेख से टीबी मरीजों को जल्द स्वस्थ किया जा सकता है। राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र भटनागर का कहना है कि टीबी मरीजों को बेहतर इलाज के साथ सही पोषण की भी बड़ी जरूरत होती है ताकि दवाएं अपना पूरा असर दिखा सकें और मरीज जल्दी से जल्दी स्वस्थ बन सके। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच और इलाज की पूरी तरह नि:शुल्क व्यवस्था है। इसलिए टीबी के लक्षण नजर आते ही इसकी तुरंत जांच कराएं। टीबी मरीजों को इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह 500 रुपये बैंक खाते में दिए जाते हैं।
24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस पर टीबी रोगियों को गोद लेने की मुहिम शुरु हुई थी जो अब रंग लाती नजर आ रही है। इस अनूठी पहल का ही नतीजा रहा कि चार माह में प्रदेश में करीब 1.28 लाख टीबी मरीजों को गोद लेकर हर माह पोषण पोटली प्रदान करने के साथ ही उन्हें भावनात्मक सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है। राज्य क्षय रोग अधिकारी का कहना है कि टीबी मरीजों को गोद लेने की पहल बहुत ही कारगर साबित हो रही है।
सही पोषण से बीमारी से जल्दी मिलती है मुक्ति: डॉ. पियाली
सही पोषण से टीबी की बीमारी से जल्दी मुक्ति मिलती है। यह कहना है एसजीपीजीआई की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य का। उन्होंने कहा कि पोषण की कमी से बच्चों में ही नहीं बड़ों में भी इम्युनिटी कमजोर पड़ जाती है, जिसके चलते वह आसानी से बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि सही पोषण का मतलब या तो भरपेट भोजन न मिल पाना है या फिर पोषक तत्वों की कमी वाले भोजन पर आश्रित होने से है। इसलिए जरूरी है कि भोजन में हरी साग-सब्जी के साथ मौसमी फल को अवश्य शामिल किया जाए।
‘आपके किसी भी अंग में हो सकती है टीबी’
डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने बताया कि उत्तर प्रदेश में हर साल करीब 15 से 20 हजार बच्चे टीबी की जद में आते हैं। उन्होंने कहा कि बिना किसी भ्रांति में पड़े जन्म के बाद बच्चों को बीसीजी का टीका अवश्य लगवाना चाहिए। क्योंकि यह टीका बच्चों में टीबी का फैलाव रोकता है। डॉ. पियाली ने कहा कि बच्चों में ब्रेन, किडनी व लंग्स की टीबी फैलने का खतरा रहता है। बाल व नाखून को छोड़कर टीबी शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है।
टीबी के लक्षण
- दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी का आना
- बुखार का बने रहना और रात में पसीना आना
- भूख न लगना और वजन का गिरना
- खांसते समय खून का आना