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Noteban के सरकार के फैसले की सुप्रीम कोर्ट करेगा समीक्षा, केंद्र और आरबीआई को हलफनामा दाखिल करने को कहा

नई दिल्ली. Supreme Court on Noteban. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे साहसी फैसले में एक नोटबंदी को लेकर बड़ी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा किए गए नोटबंदी के पीछे निर्णय लेने की प्रक्रिया की समीक्षा करेगा । शीर्ष अदालत ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक से इसके लिए विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

न्यायमूर्ति एसए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ मामले की अगली सुनवाई नौ नवंबर को करेगी। मुख्य रूप से कोर्ट का पूछना है कि क्या सरकार के पास आरबीआई अधिनियम की धारा 26 के तहत 500 व 1000 रुपये के सभी नोटों को बंद करने के अधिकार है? साथ ही क्या नोटबंदी करने की प्रक्रिया उचित थी? पीठ ने कहा कि जब संविधान पीठ के समक्ष कोई मुद्दा उठता है तो जवाब देना उसका कर्तव्य है। वह सरकार के नीतिगत फैसलों की न्यायिक समीक्षा की “लक्ष्मण रेखा” से अवगत है, लेकिन यह तय करने के लिए 2016 के नोटबंदी के फैसले की जांच करनी होगी कि क्या यह मुद्दा केवल “एक अकादमिक” अभ्यास बन गया है।

दोनों पक्ष समहत नहीं-

बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और बीवी नागरत्न वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा इसे मामले की जांच करने की आवश्यकता है क्योंकि दोनों पक्ष सहमत नहीं हैं। पीठ ने कहा कि हम हमेशा जानते हैं कि लक्ष्मण रेखा कहां है, लेकिन जिस तरह से इसे किया गया उसकी जांच की जानी चाहिए। हमें यह तय करने के लिए वकील को सुनना होगा। शीर्ष अदालत विमुद्रीकरण की कवायद को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जब सरकार ने 500 और 1,000 रुपए के नोटों को बंद कर दिया था। उन्होंने कहा कि इस तरह के विमुद्रीकरण के लिए संसद के एक अलग अधिनियम की आवश्यकता है।