
हापुड़. Sawal To Banta Hai- हापुड़ हादसे में 13 मजदूरों की जान चली गई। 20 बुरी तरह झुलस गये, जिनमें से 4 की हालत बेहद गंभीर है, जो जिंदगी के लिए मौत से जंग लड़ रहे हैं। लेकिन, सवाल तो बनता है कि इन हादसों के लिए जिम्मेदार कौन है? क्योंकि पुलिस चौकी से मात्र 250 मीटर दूरी पर चल रही इस फैक्ट्री की पुलिस को जानकारी कैसे नहीं हुई? जहां हर दिन काम बड़ी संख्या में मजदूर काम करते थे। शनिवार दोपहर करीब ढाई हुए विस्फोट से पूरी फैक्ट्री तबाह हो गई। धमाका इतना जबरदस्त था कि टीन शेड के साथ कई कामगार बाहर आकर गिरे। पूरी इमारत जमींदोज हो गई। इससे साफ जाहिर होता है कि फैक्ट्री में भारी मात्रा में और हाई इंटेंसिटी का विस्फोटक इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन क्यों? क्या यहां कोई बड़ा खेल खेला जाता था? या फिर खेलने की तैयारी थी? मंडलायुक्त सुरेंद्र सिंह ने बताया कि मामले की जांच के लिए उच्चस्तरीय कमेटी गठित की जा रही है। दोषियों को किसी भी स्थिति में बख्शा नहीं जाएगा।
यह हादसा और भयानक शक्ल ले सकता था, क्योंकि फैक्ट्री से महज 500 मीटर की दूरी पर सीएनसी पंप है। खुदा न खास्ता अगर कोई पटाखा पंप पर जाकर फटता तो यह हादसा और बड़ा हो सकता था। हादसे के वक्त फैक्ट्री में 28 से अधिक कामगार और उनका परिवार मौजूद था। आग से बचाव के लिए यहां न तो आधुनिक उपकरण थे और न ही किसी प्रकार के संसाधन मौजूद थे। मतलब, जानबूझकर लोगों की जिंदगी दांव पर लगाई जा रही थी। आईजी प्रवीन कुमार का कहना है कि फैक्ट्री के पीछे बिजली का ट्रांसफार्मर भी था। हो सकता है कि उसमें आग के बाद यहां आग लगी हो, हालांकि आग का कारण स्पष्ट नहीं है।
तीन महीने पहले ही शुरू हुआ था काम
शुरुआती जांच में पता चला है कि फैक्ट्री में करीब तीन साल पहले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने का काम होता था। मेरठ निवासी दिलशाद खान की रूही इंडस्ट्रीज के नाम से फर्म है और इसी नाम से रजिस्टर्ड है। पिछले काफी समय से यहां काम बंद था और करीब तीन माह पहले ही इस फैक्ट्री को हापुड़ निवासी वसीम को किराये पर दिया गया था। फैक्टरी में एक हॉल और छोटे कमरे के अलावा पूरे परिसर में बड़े टिन शेड के नीचे काम चल रहा था। प्रवीण कुमार, आईजी मेरठ ने कहा कि भूखंड का आवंटन इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तैयार करने के लिए हुआ था, लेकिन बिना किसी सूचना के यह दूसरे को किराये पर दे दिया गया और अवैध रूप से पटाखे बनाये जाने लगे। मामले में जांच कराई जा रही है।
Sawal To Banta Hai
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक ने हादसे पर दुख जताया है, साथ ही दोषियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिये हैं। लेकिन, सवाल तो उठता है कि आखिर कब तक हम हादसों के बाद ही जागते रहेंगे। समय रहते क्यों नहीं ऐसी फैक्ट्रियों की पड़ताल की गई? अवैध पटाखा फैक्ट्री में इतनी हाई इंटेंसिटी के बारूद का क्या होता था? उम्मीद है कि जांच के बाद इस मौत की फैक्ट्री का सच सबके सामने आएगा।