
बाराबंकी. Flood in Uttar Pradesh: जनपद बाराबंकी के तराई इलाकों में सरयू (Saryu River) घाघरा (Ghaghara River) नदी की बाढ़ और कटान से होने वाली तबाही बदस्तूर जारी है। पिछले कई दिनों से हो रही जोरदार बारिश और नेपाल से छोड़े गए लाखों क्यूसेक पानी के चलते बाराबंकी जिले में सरयू घाघरा नदी एक बार फिर भयंकर उफान पर है। नदी में बाढ़ के चलते जिले की रामनगर (Ramnagar), सिरौलीगौसपुर (Sirauligauspur) और रामसनेहीघाट (Ramsanehighat) तहसील के सैकड़ों गांव के लोग प्रभावित हैं। घरों में पानी घुसने से बाढ़ पीड़ित अपनी गृहस्थी का सामान लेकर सुरक्षित ठिकानों की ओर पलायन कर रहे हैं, लेकिन चारों तरफ बाढ़ ने ऐसा हाहाकार मचा रखा है कि कई गावों में तो लोग अब नाव पर ही अपनी जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। हालात ऐसे हैं कि महिलाएं नाव के ऊपर ही किसी तरह चूल्हा जलाकर अपना और अपने परिवार का पेट भर रही हैं। बच्चे भूख से बिलबिलाया करते हैं। वहीं बाढ़ पीड़ितों का हाल जानने के लिए राज्यमंत्री सतीश शर्मा और जिलाधिकारी अविनाश कुमार मौके पर पहुंचे और बाढ़ पीड़ितों के लिए लगाए गए अधिकारियों कर्मचारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। हालांकि सरकारी मदद के सारे दावे इन तस्वीरों को देखते हुए तो खोखले ही साबित हो रहे हैं, क्योंकि बाढ़ पीड़ितों के सामने अब अपना पेट पालने का भी संकट आ खड़ा हुआ है।
लकड़ी का पुल बनाकर कर रहे आवागमन
बाराबंकी जिले में घाघरा नदी के बड़े जलस्तर से इस समय हाहाकार मचा हुआ है। नदी खतरे के निशान से करीब 85 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। जिले के तीन तहसीलें रामनगर, सिरौलीगौसपुर और रामसनेहीघाट क्षेत्र के तराई में बसे करीब 135 गांव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। कुछ गांवों का तो मुख्य मार्ग से संपर्क ही कट गया है। रामसनेहीघाट तहसील क्षेत्र के सेमरी गांव के ग्रामीण बांस बल्ली का पुल बनाकर जान जोखिम में डालकर उस पर निकल रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पुल टूटा होने के चलते कई बार जनप्रतिनिधियों से कहा गया, लेकिन इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जिसके चलते बाढ़ में बांस बल्ली का पुल बनाकर उस पर जान जोखिम में डालकर निकलना पड़ता है। ऐसी तस्वीरें देखकर तो सरकारी मदद के सारे दावे खोखले ही साबित हो रहे हैं, क्योंकि बाढ़ पीड़ितों की दुश्वारियां कहीं से कम होती नहीं दिख रही हैं।
नाव पर जल रहा चूल्हा
वहीं सिरौलीगौसपुर तहसील के तिलवारी गांव में तो हालात इतने भयावह हो गए हैं कि महिलाएं अपने परिवार के साथ नाव पर ही जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। चारों तरफ सिर्फ बाढ़ का पानी होने के चलते लोग अपनी जिंदगी नाव पर ही गुजारने को मजबूर हैं। यहां तक कि बाढ़ पीड़ित महिलाएं नाव पर ही चूल्हा जलाकर गीली लकड़ियों से किसी तरह भोजन बना रही हैं। यह महिलाएं नाव पर ही चूल्हा जलाकर अपने परिवार के लिए दो रोटी का जुगाड़ कर रही हैं। बाढ़ पीड़ितों को अभी यह नहीं पता कि उनको घाघरा इस विनाशलीला को कब तक सामना करना पड़ेगा। क्योंकि ग्रामीण बता रहे हैं कि तीन-चार दिनों से यह पानी ज्यादा बढ़ रहा है। नदी का जलस्तर बढ़ने से घरों के अंदर पानी घुस गया है। इस समय लगातार पानी बढ़ता ही जा रहा है। यहां की बाढ़ पीड़ित महिला का कहना है कि वह अपने परिवार को लेकर यहां पड़ी हैं। वह नाव पर ही खाना बनाने को मजबूर हैं। महिला ने बताया कि कभी-कभी तो नाव नहीं आती तो हम लोग खाना भी नहीं बना पाते। बच्चे भूख से बिलबिलाया करते हैं। महिला ने मांग कि सरकार को हम लोगों के लिए कोई स्थायी विकल्प निकालना चाहिए।
हर संभव मदद की कोशिश
वहीं बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण करने राज्यमंत्री सतीश चंद्र शर्मा और जिला अधिकारी अविनाश कुमार मौके पर पहुंचे। इस दौरान जिला अधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि मंत्री जी और मैंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया है। इस दौरान एसडीएम भी मौके पर मौजूद थे। जिलाधिकारी ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में चारे की समस्या, राशन की जो किट है उनका वितरण करा दिया गया है। घाघरा के जो साइड के एरिया है उसमें फसल काफी प्रभावित हुई है। उसके मुआवजे के लिए सूची बनाने को लेकर भी निर्देशित किया गया है। क्षेत्र में मेडिकल टीम भी लगाई गई हैं। 8-8 घंटे के रोस्टर पर सेक्रेटरी, लेखपाल, मेडिकल और नर्सिंग के लोग लगाए गए हैं। बाढ़ पीड़ितों की हर संभव मदद की कोशिश की जा रही है।