
गाजीपुर. एशिया के सबसे बड़े गांव गहमर में आज यानी 24 दिसंबर से तीन दिवसीय साहित्यकार सम्मेलन शुरू हो गया है। सातवें गोपाल राम गहमरी साहित्यकार सम्मेलन का समापन 26 दिसम्बर को होगा। साहित्य सरोज पत्रिका द्वारा उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान लघुकथा वाचन, आधुनिक कविता पर चर्चा, कहानी पर चर्चा, शार्ट फिल्म प्रदर्शनी व उस पर कार्यशाला, साहित्यकारों के पुस्तकों का लोकार्पण, लोकनृत्य, लोकगायन के साथ साथ दो दिन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम संयोजक अखंड गहमरी ने बताया कि इस दौरान रहने व भोजन की व्यवस्था हर वर्षों की तरह इस वर्ष भी संस्था द्वारा की गई है। कार्यक्रम के लिए कोई भी सहयोग राशि या रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं लिया जाता है। प्रतिभाग करने वालों को प्रतिभाग प्रमाणपत्र एवं सारस्वत सम्मान से सम्मानित भी किया जायेगा।
गोपाल राम गहमरी साहित्यकार सम्मेलन की विशेषताएं
01- गोपाल राम गहमरी साहित्यकार सम्मेलन किसी विधा के जनक के मातृभूमि पर होने वाला पहला कार्यक्रम है।
02- गोपाल राम गहमरी साहित्यकार सम्मेलन ग्रामीण क्षेत्र में होने वाला सबसे बड़ा साहित्यकार सम्मेलन है
03- गोपाल राम गहमरी साहित्यकार सम्मेलन गैर साहित्यिक व्यक्ति द्वारा आयोजित होने के बाद भी किसी प्रकार के रजिस्ट्रेशन एवं सहयोग शुक्ल के बगैर आयोजित होता है
04- गोपाल राम गहमरी साहित्यकार सम्मेलन में सम्मानों के चयन में आयोजक की कोई भूमिका नहीं होती, सम्मानों का चयन देश के प्रसिद्ध एवं अपनी अपनी विधा में महारथ रखने वाले साहित्यकार करते हैं। इसलिए वह पुस्तकों के प्रकाशन की संख्या को महत्व नहीं देते। संस्था वर्ष भर अपने संसाधनो के माध्यम से निगाह भी रखती है जिसका लाभ उसे सम्मान चयन में मिलता है।
05- गोपाल राम गहमरी साहित्यकार सम्मेलन देश का पहला कार्यक्रम है जो पूर्ण रूप से सनातनी व्यवस्था पर आधारित होता है। सनानत धर्म के हिसाब से भोजन एवं सम्मान दिये जाते हैं, कार्यक्रम का संचालन होता है। सीखने एवं सिखाने का मंच होता है।
06- गोपाल राम गहमरी साहित्यकार सम्मेलन साहित्यकारों को भूल चूके ग्रामीण जीवन को दिखाने का प्रयास करता है, ग्रामीण एवं स्थानीय परम्पराओं के अनुसार भोजन एवं आयोजन की व्यवस्था करता है।
07- गोपाल राम गहमरी साहित्यकार सम्मेलन कोशिश करता है कि वह साहित्यकारों को एक दूसरे के नजदीक ला सके, वह एक दूसरे की परम्परा, सभ्यता, संसकृति को जानने पहचाने में मदद कर सके, उनके लिए एक उत्सव सरीखा अवसर प्रदान कर सकें, जहॉं वह साहित्य के साथ साथ अपने अन्य प्रतिभा का प्रदर्शन कर सके, हास्य-परिहास के बीच अपने आपको तरो-ताजा कर सके।