
लखनऊ. राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाले स्वर्गीय नेताजी मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) एक रोचक व कुशल शिक्षक थे। 22 नवंबर 1939 को मध्य यूपी के इटवा जिले के गांव सैफई में जन्मे मुलायम सिंह यादव ने प्रारंभिक शिक्षा इटावा में ली और उसके बाद फतेहाबाद और आगरा में पढ़ाई की। एक प्रसिद्ध पहलवान, मुलायम ने स्नातक और शिक्षण स्नातक (बीटी) पूरा करने के बाद, आगरा विश्वविद्यालय में अपनी उच्च शिक्षा पूरी की। वहां उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर किया।
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120 रुपए था मासिक वेतन-
एक चतुर राजनेता, मुलायम ने मैनपुरी जिले के करहल में जैन इंटर कॉलेज में एक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया था। दरअसल, सपा संरक्षक ने अपनी स्कूली शिक्षा 1955 में उसी स्कूल से की थी। वहां उन्होंने 9वीं कक्षा में प्रवेश लिया था। फिर उसी स्कूल से 12वीं की पढ़ाई भी की और बाद में 1963 में एक शिक्षक के रूप में इसमें शामिल हुए। वे हिंदी और सामाजिक विज्ञान पढ़ाते थे। जानकारों का कहना है कि उस दौर में उन्हें 120 रुपए प्रति माह वेतन मिलता था। वह हाई स्कूल में हिंदी और इंटर में सामाजिक विज्ञान पढ़ाते थे।
बच्चों को मारने में नहीं रखते थे विश्वास-
जानकार का कहना हैं कि नेताजी के पढ़ाने का अंदाज बिल्कुल अलग और काफी रोचक था। वे बाकी शिक्षकों की तरह रटा- रटाया पाठ नहीं पढ़ाते थे। साथ ही छात्रों को पिटाई के वे सख्त खिलाफ थे। उनका मानना था कि बच्चों को मारने से उनकी बुद्धि का कौशल विकास रुक जाता है। इसलिए वह रोचक अंदाज में बच्चों को पढ़ाते थे, जिससे बच्चों भी पढ़ाई में रूचि लें।
राजनीति में यूं आएं-
मुलायम 1960 में राजनीति की ओर आकर्षित हुए। उस वक्त उन्होंने समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया के नेतृत्व वाले आंदोलन में सक्रिय भाग लेना शुरू किया। इससे प्रभावित होकर वह राजनीति में आए। हालाँकि, उन्होंने 1967 में जसवंतनगर सीट से विधायक के रूप में विधानसभा चुनाव लड़कर और जीतकर औपचारिक रूप से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की।