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जब प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गये थे मुलायम सिंह यादव, इन दो नेताओं ने शपथ से ठीक पहले पलट दी बाजी

लखनऊ. Mulayam Singh Yadav Death: देश के सबसे बड़े सियासी परिवार के मुखिया मुलायम सिंह यादव अब इस दुनिया में नहीं रहे। मुलायम सिंह यादव ने 82 साल की उम्र में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अपने जीवन की अंतिम सांस ली। कुश्ती के अखाड़े से लेकर सियासत के अखाड़े तक विरोधियों को पटखनी देने वाले मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक करियर बेहद दिलचस्प रहा है। यही कारण है कि उनके निधन पर देश की सभी सियासी पार्टियों के नेता शोक में हैं। वह सभी मुलायम के साथ अपने-अपने किस्सों को दोहरा रहे हैं। ऐसा ही एक किस्सा मुलायम सिंह यादव से जुड़ा है, जब वह देश के प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गये थे।

सेकेंड हैंड कार से करते थे प्रचार
कभी सेकेंड हैंड कार पर चुनाव प्रचार करने वाले मुलायम सिंह यादव 1989 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (Mulayam Singh Yadav) की कुर्सी पर बैठे। 1992 का साल नेता जी के राजनीतिक करियर (Mulayam Singh Yadav Political Carrier) का टर्निंग पॉइंट रहा। साल 1992 के अक्टूबर महीने में उन्होंने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party Foundation) की स्थापना की तो वहीं दिसंबर 1992 में अयोध्या (Ayodhya) के विवादित ढाँचे के विध्वंस का मामला मुलायम सिंह के लिए सियासी वरदान साबित हुआ।

सपा में अयोध्या मुद्दे ने फूंकी जान
मुलायम सिंह की नयी बनी राजनीतिक पार्टी में अयोध्या के मुद्दे ने सियासी जान फूंक दी। मुलायम ने इस मुद्दे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और मुसलमानों को अपनी पार्टी से जोड़ लिया। इसी के बाद ओबीसी और मुस्लिम वोट बैंक ने समाजवादी पार्टी को खड़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाँलाकि साल 1989 में अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाकर मुलायम सिंह यादव को पहले मौलाना मुलायम का तबका भी मिल गया था।


जब पीएम बनते-बनते रह गये थे नेता जी
1996 का साल भी मुलायम सिंह यादव के लिए कभी न भूलने वाला साल रहा जब वह प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गये। कहा जाता है कि प्रधानमंत्री पद के लिए मुलायम सिंह यादव के नाम पर मुहर लग गयी थी, यहां तक कि शपथ ग्रहण की तारीख और समय सबकुछ तय हो चुका था। मगर अंतिम समय में उनकी जगह एचडी देवगौड़ा (H. D. Deve Gowda) को प्रधानमंत्री बना दिया गया। कहा जाता है कि इसके पीछे लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) और शरद यादव (Sharad Yadav) का हाथ था, जिन्होंने उनके नाम पर सहमति नहीं दी।


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कॉरपोरेट घराने से बढी नजदीकियां
इन सबके बाद एक ऐसा वक्त भी आया जब धरतीपुत्र कहे जाने वाले मुलायम सिंह यादव की देश के बड़े कॉरपोरेट घरानों के साथ नजदीकियां बढ़ने लगीं। रिलायंस (Reliance) के अनिल अंबानी (Anil Ambani), हिंदुस्तान लीवर के एम एस बंगा (Hindustan Lever MS Banga), ICICI के कामथ (ICICI Kamath), बजाज के शिशिर बजाज (Shishir Bajaj), इंफोसिस के नंदन नीलेकनी (infosys nandan nilekani), मनिपाल के रामदास पई (Manipal Ramdas Pai), सहारा के सुब्रत रॉय (Subrat Rai Sahara) और अपोलो हॉस्पिटल के प्रताप सी रेड्डी (Prathap C Reddy Apollo Hospital) समेत तमाम उद्योगजगत की हस्तियां मुलायम सिंह यादव से जुड़ गईं। अमिताभ बच्चन को यूपी का ब्रांड एंबेसडर (UP Brand Ambassador Amitabh Bachchan) बनाया गया। वहीं सैफई महोत्सव (Saifai Mahotsav) में बॉलीवुड (Bollywood) भी छाया रहने लगा।


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माहिर राजनेता थे मुलायम
मंडल और कमंडल के दौर में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को परवान चढ़ाने वाले मुलायम सिंह यादव एक माहिर राजनेता रहे हैं। उन्हें पता था कि कब किसके साथ रहना है और किसे छोड़ देना है। मुलायम के बचपन के दोस्त और सैफई के प्रधान दर्शन सिंह यादव (Darshan Singh Yadav) का मुलायम सिंह चादव के बारे में कहना था कि मुलायम ने जाने कितने लोगों की मदद की है लेकिन वे कभी किसी पर इस बात का एहसान नहीं जताते थे। वह सच्चे दिल से सभी को अपनाते थे। इसीलिये लोगों के दिलों पर राज करते थे।