गाजीपुर. Maa Kamakhya Temple- उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के करहिया में मां कामाख्या देवी का प्रसिद्ध मंदिर है। देश के कोने-कोने से यहां मां के दर्शन के लिए श्रद्धालु आते हैं। खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश और यूपी की सीमा से सटे बिहार के लोग बिना को शीश झुकाये कोई शुभ काम नहीं करते। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां की पूजा करता है, देवी कामाख्या उसकी सभी मनोरथ पूर्ण करती हैं। विशाल मंदिर से कुछ ही दूरी पर एशिया का सबसे बड़ा गांव गहमर भी है, जिसे फौजियों का गांव कहा जाता है। यहां लगभग हर घर में फौजी हैं, जिन पर मां कामाख्या आशीर्वाद बना रहता है। यही वजह कि आज तक इस गांव का कोई भी फौजी युद्ध में शदीह नहीं हुआ जबकि 1965, 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध में गहमर के फौजियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और दुश्मनों के छक्के छुड़ाये। गांव के फौजियों का कहना है कि युद्ध के दौरान उन्होंने कभी नहीं लगा कि मां कामाख्या उनके साथ नहीं हैं।
गाजीपुर जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर कहरिया में मां कामाख्या का भव्य व विशाल मंदिर है। मान्यता है कि सिकरवार वंश के पितामह खाबड़जी ने कामगिरि पर्वत पर मां की घोर तपस्या की थी। उनकी पूजा से प्रसन्न होकर मां ने सिरकवार वंश की रक्षा करने का वरदान दिया था। मां कामाख्या गमहर ही नहीं बल्कि 84 गांवों के सिरकवार वंश की कुल देवी हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यहीं पर जमदग्नि, विश्वामित्र, गाधि तनय सरीखे ऋषि-मुनियों का सतसंग समागम
हुआ करता था।
मां की भक्ति से मिलता है संतान सुख
मां कामाख्या देवी के दरबार में सभी धर्मों के लोग मत्था टेकते हैं। प्रतिदिन मां के दर्शन को हजारों लोग आते हैं। नवरात्र में यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। माता सभी की मनोकामना पूर्ण करती है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि बड़ी संख्या में यहां ऐसे लोग भी आते हैं जिन्हें संतान सुख नहीं मिला है। लेकिन, मां के दरबार में सभी की मनोरथ सफल होता है। मंदिर के बाहर ही पुलिस चौकी भी हैं, जहां के इंचार्ज नियमित तौर पर माता के दर्शन करते हैं।
कैसे पहुंचें मां के दरबार
मां कामाख्या मंदिर गाजीपुर जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर और बिहार के बक्सर जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर है। गहमर गांव में रेलवे स्टेशन भी है, जहां कई ट्रेनें ठहरती हैं। इसके अलावा यूपी रोडवेज की बसें भी यहां आती हैं। निजी साधन से भी आया जा सकता है। विशाल मंदिर प्रांगण में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने का भी इंतजाम है।