
जौनपुर. फगुआ फाग और मस्ती के रसों से एक बार फिर श्रोता सराबोर हुए। मौका था जिले के चुरावनपुर गांव में लोक संगीत समारोह का। जिले भर से आये लोक कलाकारों ने अपनी कला से यहां समां बांध दिया। चार घंटे से अधिक समय तक चले इस मधुर संगीतमय आयोजन में सुधी श्रोता रसभरी फाग में गोते लगाते रहे। गीत में कभी कोयल की तान, विरहन की अगन तो कभी बालम के सपन ने लोकमाटी की खुशबू को खूब महकाया। फाग कलाकार लाल साहब पाठक बड़कऊ शुकुल, की टोली ने गणेश स्तुति के साथ फगुआ से शुरुआत किया तो होली मिठास घुलने लगी। फिर एक के बाद एक लोक कलाकारो ने अपनी मोहक प्रस्तुति से सभी को मुग्ध कफ दिया।
कैलाश नाथ शुक्ल ने ‘फागुन भर फाग मुरारी रगन बिन खेलत लाज बिसारी’ गाया तो होरियारों की जमी भीड़ के दिलों को छू गया। तुरन्त बाद ‘कहीं देखलू हे यार कहीं देखलू हे यार हमरे बलम बउरहवा के। गाया तो फाग का रस झरने लगा। श्रोताओं ने फाग की इस प्रेम भरी तान को दोहरा दोहरा कर खूब आनंद उठाया पूरे माहौल को सतरंगी बना दिया।
“जहां झोकवा न आवै बयार अटरिया ऊंची छवाई द है बालमा”
इसके बाद कलाकर राम आसरे तिवारी ने ”मोहे घायल कीन्ह मुरारी, कहत राधा प्यारी” ‘एक तव लचक चाल मोहन की दूजे नयन कटारी’ गाकर पूरी संगीत महफ़िल पर धुनों की बौछार कर दिया। चढ़ी मास की खुमारी ढोलक के थाप के साथ ही चढ़ती रही। फिर बारी आई चौताल की तो, ‘जहां झोकवा न आवै बयार अटरिया ऊंची छवाई द है बालमा” और ”कई के पिरीतिया मोसे कईके अनरीतिया सवतिया से लगन लगाय, पिया नहकई गवनवा लियाय, विदेशवा में छाय” गाकर फाग का ऐसा प्रवाह किया की हर तरफ से वाह वाह और तालियों की गति उफनाती रही।
मदमस्त हुई शाम
आखिर में मशहूर कलाकार सत्यनाथ पांडेय ने बारी बारी से फगुवा बेलवारिया उलारा चहका चैता और चौताल को बरी बारी से सुनाकर चुरावनपुर की शाम को मदमस्त कर दिया। ढोलक और नाल पर कृष्णा उपाध्याय-अशोक कुमार ने अपनी थाप से सजाकर सभी के दिलों पर फाग का सेहरा बांध दिया। कार्यक्रम के मुख्यअतिथि, उच्चतर सेवा आयोग प्रयागराज उत्तर प्रदेश के सदस्य प्रो आरएन त्रिपाठी और प्रसिद्ध विज्ञान संचारक डॉ अरविंद मिश्र ने सँयुक्त रूप कलाकारों को अंगवस्त्र भेंट के सम्मानित किया। सभी कलाकारों और आगन्तुको का धन्यवाद डॉ मनोज मिश्रा जनसंचार विभाग प्रमुख पूर्वांचल विवि जौनपुर ने किया। कार्यक्रम का संचालन श्री पति उपाध्याय पूर्व ब्लॉक प्रमुख बक्शा ने किया।