
नई दिल्ली. Insurance सेक्टर में जोखिम यानी Risk ही सबसे महत्वपूर्ण है। दूसरे शब्दों में कहें तो अगर Risk न होता तो बीमा ही न होता। Life Insurance, Health Insurance और General Insurance में पूरा खेल रिस्क और रिस्क ट्रांसफर का ही है। जब किसी निश्चित घटना के घटने से संपत्ति का मूल्य नष्ट हो सकता है तो इस स्थिति को जोखिम (Risk) कहते हैं। जैसे कि जीवन। वहीं, जोखिम भरी घटना के कारण को आपदा (Peril) कहा जाता है। जैसे- बाढ़ आदि…। इस आपदा से निपटने के लिए समान संपत्तियों पर विभिन्न व्यक्तियों द्वारा अंशदान एकत्रित किया जाता है, जिसका इस्तेमाल आपदा के कारण कुछ लोगों को हुई हानि की क्षतिपूर्ति के लिए किया जाता है। इसे ही Risk Pooling कहा जाता है। रिस्क को टालना ही Risk Management कहलाता है। Risk Management के जरिये भी जोखिम को कम किया जा सकता है। आइये जानते हैं कैसे–
1- जोखिम से बचना/टालना (Risk Avoidence)- रिस्क को अवॉयड करना। जैसे- अगर हमें लगता है कि बाहर निकले में एक्सीडेंट का खतरा है तो हम घर से बाहर निकलें ही नहीं, आदि…। लेकिन, इस कंडीशन में हमारी ग्रोथ रुक जाती है।
2- जोखिम प्रतिधारण (Risk Retention)- जोखिम खुद वहन करना। इसे स्व बीमा भी कहते हैं।
3- Risk Reduction and Cantrol- जोखिम को कम करना या उसको नियंत्रित करना। जैसे- कोविड 19 के दौर में Hygiene अपनाना Risk Reduction और Isolation होना Risk Cantrol का उदाहरण है।
4- जोखिम अंतरण (Risk Transfer)- अपना जोखिम किसी दूसरे को ट्रांसफर करना ही Risk Transfer। जैसे कि बीमा कंपनी…। रिस्क ट्रांसफर ही Insurance है। इसमें ग्रोथ प्रभावित भी नहीं होती है और रिस्क बीमा कंपनी ही वहन करती है।
Risk Burden
Insurance कंपनियां जब दूसरे का जोखिम खुद पर ले लेती हैं। इसे ही Risk Burden कहा जाता है। यह दो तरह का होता है-
1- Primary Burden of Risk (जोखिम का महत्वपूर्ण बोझ)- जिसमें हम अपनी क्षति आकलन कर सकते हैं। मतलब ऐसी हानियां आमतौर पर प्रत्यक्ष और मापने योग्य होती हैं। बीमा द्वारा इनको सरलता से मापा जा सकता है।
2- Secondary Burden of Risk (जोखिम का कम महत्वपूर्ण बोझ)- इसमें हानि होने होने की संभावना होती है। बीमा कंपनी इसमें जोखिमों का वहन करती है, क्षतिपूर्ति नहीं।
यह भी पढ़ें: अगर लैप्स हो गई है आपकी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी तो ऐसे करें रिवाइवल, जानें पूरी डिटेल