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Life Insurance लेने से पहले समझ लें बीमालेखन की प्रक्रिया, कभी क्‍लेम में नहीं आएगी कोई दिक्कत

लखनऊ. Life Insurance खरीदते समय आपके दिमाग में ये बात रहती है कि किसी दुर्घटना में आपकी आकस्मिक मौत हो जाने पर पॉलिसी से आपके परिवार को वित्तीय सुरक्षा मिल जाएगी। ठीक उसी तरह बीमा कंपनियां भी ग्राहकों को इंश्योरेंस पॉलिसी इश्यू करने के अपने हर दिन के ऑपरेशन्स से जुड़े जोखिम से खुद को बचाती हैं। लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों की तरफ से ग्राहकों के लिए एक गाइडलाइन जारी होती है, जिसे उन्हें फॉलो करना होता है। इन गाइडलाइंस के जरिए बीमा कंपनियां ग्राहकों से जुड़े रिस्क का आंकलन करती हैं और फिर उसी आधार पर उसके लिए प्रीमियम तय करती हैं। संक्षेप में कहा जाए तो अंडरराइटिंग यानी बीमालेखन वह प्रक्रिया होती है जिसके तहत लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां किसी पॉलिसी के लिए ग्राहक की एलिजिबिलिटी तय करती हैं।

अंडरराइटिंग दो प्रकार की होती है। मेडिकल अंडराइटिंग और फाइनेंशियल अंडरराइटिंग। मेडिकल अंडराइटिंग को आम तौर पर ‘मोर्टलिटी असेसमेंट’ कहा जाता है। अंडरराइटिंग का यह पहलू आपकी उम्र, लाइफस्टाइल, धूम्रपान, शराब पीने जैसी आपकी लाइफस्टाइल से जुड़ी आदतों से जुड़ा होता है। इसके साथ ही इसका मकसद आपकी फैमिली हिस्ट्री के आधार पर इस चीज का आकलन करना होता है कि आपको किसी तरह की बीमारी से ग्रस्त होने की आशंका तो नहीं है।

फाइनेंशियल अंडरराइटिंग
फाइनेंशियल अंडरराइटिंग वह प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल इंश्योरेंस कंपनी इस चीज की गणना के लिए करती है कि आपके लिए कितने रकम का लाइफ कवर पर्याप्त होगा। आप जब एक निश्चित रकम का लाइफ कवर खरीदने को लेकर रुचि दिखाते हैं तो इंश्योरेंस कंपनी आपकी वित्तीय स्थिति का पूरा विश्लेषण करती है। इस चरण में आपको सैलरी स्लिप, बैंक स्टेटमेंट, टेलीफोन बिल, बिजली का बिल, पासपोर्ट, आधार कार्ड, इनकम टैक्स रिटर्न जैसे दस्तावेज देने पड़ते हैं। अगर आपके नाम से पहले से कोई इंश्योरेंस पॉलिसी है तो आपको उसका भी विवरण देना पड़ता है। हालांकि, कुछ ग्राहक इस पूरे प्रोसेस को काफी परेशानी भरा मानते हैं लेकिन इससे आपकी इंश्योरेंस कंपनियों को आपके पूरे रिस्क प्रोफाइल का आकलन करने में मदद मिलती है।

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जोखिम का वर्गीकरण (Risk Calssification)
मेडिकल अंडरराइटिंग के तहत जोखिम का चार भागों में वर्गीकरण किया जाता है-
1- मानक (Standard Lives)- अनुमानित मृत्युदर मानक मृत्युदर की तुलना में अधिक है।
2- अवमानक/उपमानक (Sub Standard Lives)- अनुमानित मृत्युदर मानक मृत्युदर की तुलना में अधिक है।
3- वरीयता प्राप्त (Prefered Lives)- अनुमानित मृत्युदर मानक मृत्युदर तालिका से कम है।
4- अस्वीकृत (Declined Lives)- मृत्यु दर आतनी अधिक हो कि संबंधित को बीमा न दिया जा सके।

बीमा लेखन या चयन प्रक्रिया (Selection process)

  • फील्ड या प्राथमिक स्तर (at field level) : एजेंट या कंपनी के प्रतिनिधि द्वारा जानकारी एकत्रित करना
  • बीमा लेखन विभाग स्तर- विशेषज्ञों द्वारा जानकारी एकत्रित करना

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बीमा लेखन की विधि (Methods of underwriting)
1- निर्णय विधि (Judgement level): व्यक्ति विशेष निर्णय का प्रयोग किया जाता है
2- संख्यात्मक विधि (Numerical level): इस विधि में बीमालेखक सभी नकारात्मक या प्रतिकूल कारकों के धनात्मक अंक देते हैं
3- बीमा धन पर ग्रहणाधिकार (लियन) सहित स्वीकृति: यह एक प्रकार का बंधन है। बीमा कंपनी जिसका प्रयोग जीवन बीमा कंपनी उस लाभ की राशि पर कर सकती हैं जो दावे की स्थिति में इसे भुगतान करनी पड़ती है। आमतौर पर यह उस पॉलिसी में लगाया जाता है जिसमें बीमाधारक को पहले से ऐसी कोई बीमारी हो जो समय के साथ ठीक हो सकती है। जैसे टीबी आदि…
4- प्रतिबंधात्मक क्लॉज सहित स्वीकृति: कुछ खास प्रकार के खतरों के लिए प्रतिबंधात्मक क्लॉज लगाया जाता है। उदाहरण के लिए गर्भवती महिला।

नहीं होगी क्लेम में कोई दिक्कत
एक्सपर्ट्स की राय है कि बीमा कंपनी को जब भी हेल्थ से जुड़ी जानकारी दें, पूरी और विस्तृत दें। ऐसा करने से अंडराइटिंग सिस्टम पूरी तरह से आपके पक्ष में काम करेगा। उचित प्रीमियम का निर्धारण होगा। पॉलिसी भी जल्द इश्यू हो जाएगी। साथ ही पॉलिसी या क्लेम के रिजेक्ट होने की संभावना बेहद कम होगी।

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