
लखनऊ. बीमा व्यवसाय में Insurance करने से पहले बीमायोग्य हित (Insurable Interest) देखा जाता है। बीमाहित के बिना किसी की भी व्यक्ति का बीमा करना संभव नहीं है। Life Insurance हो, General Insurance हो या Cargo Insurance (मरीन इंश्योरेंस) हो, बीमा पॉलिसी देने से पहले बीमा कंपनी इंश्योरेबल इंट्रेस्ट देखती है।
बीमा योग्य हित को साधारण शब्दों में समझें तो जिसके नहीं रहने पर हमारा आर्थिक नुकसान हो वहीं इंश्योरेबुल इंस्ट्रेस्ट है। किसी व्यक्ति का इंश्योरेबल इंट्रेस्ट स्वयं (Self) में, दंपत्ति (Spouse) में, बच्चों (Children) में और आस्तियों (Assets) में होता है।
कहां होता है बीमाहित?
1- Myself- व्यक्ति का खुद पर असीमित बीमायोग्य हित होता है
2- Spouse– पत्नि/पत्नी एक-दूसरे का बीमा करवा सकते हैं
3- Children- बच्चों का बीमा करवाया जा सकता है।
4- Partnership Insurance- साझेदार एक-दूसरे का बीमा करा सकते हैं।
5- Creditor-Debtor Insurance- लोन के वक्त बैंक उस राशि का बीमा करती हैं।
6- Employee/Employer- नियोक्ता कर्मचारियों का बीमा करवाता है।
7- Key Man Insurance- व्यवसायिक लाभ प्रदाता का Key Man Insurance होता है।
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बीमायोग्य हित कब-कब जरूरी
Life Insurance: जीवन बीमा के मामले में बीमाहित पॉलिसी लेने के समय (at inception) विद्यमान होना चाहिए
General Insurance: साधारण बीमा के मामले में बीमाहित पॉलिसी लेते समय और दावा करते समय विद्यमान होना चाहिए।
Cargo Insurance: मरीन/कार्गो बीमा में बीमायोग्य हित दावे के समय देखा जाता है।
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