
बाराबंकी. Ghaghara River Flood: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में हर साल घाघरा (सरयू) नदी की चपेट में कई गांव आते हैं। बाराबंकी जिले में तीन तहसील सिरौलीगौसपुर, रामनगर और राम सनेहीघाट क्षेत्र के तटवर्ती इलाके में रहने वाले लोग इस बाढ़ से प्रभावित होते हैं। बाढ़ के चलते लोग बंधों पर या अन्य जगहों पर शरण लेते हैं। बाढ़ प्रभावित लोगों को प्रशासन हर संभव मदद पहुंचाने का प्रयास भी करता है। इस साल भी कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं। हालांकि इस समय नदी का जलस्तर स्थिर हो गया है। जलस्तर स्थिर होने से सिरौलीगौसपुर तहसील क्षेत्र के तेलवारी गांव में नदी तेजी से कटान कर रही है। घरों तक कटान पहुंचने से लोगों में दहशत है। वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि हफ्तों से नदी गांव के किनारे पर कटान कर रही है और लगातार अधिकारियों को इसकी भी सूचना दी जा रही है, लेकिन अधिकारी यहां की स्थिति देखने तक नहीं आये हैं। पहले जो भी कर्मचारी देखने आया, वह खानापूर्ति करके वापस चला गया। जिसके चलते नदी की कटान अब उनके घरों तक पहुंच गई है।
घाघरा की कटान से ग्रामीण परेशान
दरअसल बाराबंकी की सिरौलीगौसपुर तहसील क्षेत्र के तेलवारी गांव में इस वर्ष घाघरा (सरयू) नदी ज्यादा कटान कर रही है। हालांकि इस समय नदी का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे हैं। लेकिन यह जलस्तर कभी बढ़ता है और कभी घट जाता है। हालांकि इस समय नदी का जलस्तर स्थिर हो गया है। जलस्तर स्थिर होने से तेलवारी गांव में नदी तेजी से कटान कर रही है। यहां कटान से गांव की खेती योग्य सैकड़ों बीघा जमीन नदी में समा गई है। हालात ये हैं कि नदी की कटान गांव में घरों तक पहुंच गई है, जिसके चलते लोग दहशत में हैं।
अधिकारियों पर आरोप
वहीं गांव के लोग कटान रोकने के लिए कई दिनों से बाढ़ खंड अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में लगातार नदी कटान कर रही है। नदी की कटान गांव में घरों के मुहाने तक पहुंच गई है। लगातार हो रही कटान की सूचना के बाद भी अधिकारी यहां की स्थिति तक देखने नहीं आए और जो भी अधिकारी कर्मचारी यहां आया, वह सिर्फ खानापूर्ति करके यहां से वापस चला गया। जो कटान से बचाव के उपाय हैं, वह नहीं किए गये। ग्रामीणों के मुताबिक बाढ़ खंड द्वारा यहां पर इस साल कोई काम नही किया गया है। गांव के सभी लोगों ने बाढ़ खंड से कटान रोकने को लेकर गुहार लगाते रहे, मगर कोई सुनवाई नही हुई। गांव में कई कच्चे-पक्के मकान कटान की जद में आ गए हैं। इस बात से ग्रामीण काफी परेशान हैं।