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घाघरा नदी की कटान का कहर, खुद अपने आशियानों को ही तोड़ रहे लोग, जानें वजह

बाराबंकी. Ghaghara River flood: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे जिले बाराबंकी में घाघरा नदी का कहर जारी है। जिले की तहसील रामनगर, सिरौलीगौसपुर और रामसनेहीघाट क्षेत्र में घाघरा नदी जबरदस्त कटान कर रही है। जिसके चलते दर्जनों मकान या तो घाघरा नदी में समा गये हैं, या फिर समाने की कगार पर हैं। वहीं नदी की कटान में घरों को डूबता देख ग्रामीण अपने अपने घरों को खुद तोड़कर अब उसकी ईंट और लोहे की सरिया सहित जरूरी सामग्री निकालने में जुटे हैं।

घाघरा नदी का कहर
यह पूरा मामला बाराबंकी की रामसनेहीघाट तहसील क्षेत्र के बसंतपुर पत्रा गांव का है। तराई में बसे पत्रा गांव के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है, क्योंकि आधा गांव घाघरा नदी की धारा में समा चुका है। जबकि बचे गांव को घाघरा नदी किसी भी समय अपने आगोश में ले सकती है। घाघरा नदी की कटान की चपेट में आकर पत्रा गांव लगभग खत्म होने की कगार पर है। इसके अलावा नदी का पानी बसंतपुर समेत कई गांवों के पास भी तेजी से कटान कर रहा है।

नदी में कट रहे लोगों के मकान
फिलहाल बसंतपुर पत्रा गांव में बाकी बचे पक्के मकानों को ग्रामीण तोड़ के उसकी ईंट और लोहे की सरिया निकालने के लिए हथौड़ा चला रहे हैं। बाढ़ पीड़ितों के मुताबिक वह काफी परेशानियों से जूझ रहे हैं। पिछले डेढ़ महीने से नदी का तांडव जारी है। कभी जलस्तर बढ़ता है तो कभी कम हो जाता है। ऐसे में कटान की समस्या से उन लोगो को काफी दिक्कतें हो रही हैं।

डीएम के आश्वासन से भी राहत नहीं
हालांकि इन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में ग्रामीणों की मदद को लेकर बाराबंकी के जिलाधिकारी डा. आदर्श सिंह लगातार आश्वासन दे रहे हैं। लेकिन शायद उनका आश्वासन पीड़ितों के राहत नहीं दे पा रहा है। बाराबंकी के जिलाधिकारी डा. आदर्श सिंह ने घाघरा नदी में समाने वाले मकानो की संख्या एक बताई है, जबकि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोग डेढ़ दर्जन से ज्यादा मकान नदी में समाने की बात कर रहे हैं।