
लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Vidhan Sabha Chunav) से पहले नेताओं का एक पार्टी से दूसरे पार्टी में जाने का क्रम जारी है। कुथछ दिनों पहले ही बीजेपी के 3 कैबिनेट मंत्री और कई विधायक पार्टी का साथ छोड़कर अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे। इसी क्रम में योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट (Yogi Adityanath Cabinet) से इस्तीफा देने वाले दारा सिंह चौहान (Dara Singh Chauhan) ने भी आज अखिलेश यादव की उपस्थिति में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में वापसी कर ली है। कभी सपा से बसपा और फिर भाजपा में शामिल होने वाले दारा सिंह चौहान ने 12 जनवरी को बीजेपी से इस्तीफा दे दिया था। राजनीतिक पंडित यूपी के मऊ समेत 20 जिलों में दारा सिंह चौहान का अच्छा खासा प्रभाव मानते हैं। इस लिहाज से दारा सिंह चौहान का यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले समाजवाती पार्टी में आना अखिलेश यादव के लिये बड़ा फायदा माना जा रहा है। वहीं दारा सिंह के साथ ही अपना दल (Apna Dal) के विधायक आरके वर्मा (RK Verma) भी अपनी पार्टी छोड़कर सपा में शामिल हुए हैं।
कौन हैं दारा सिंह चौहान?
दारा सिंह चौहान आजमगढ़ (Azamgarh) से आते हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत एक छात्र नेता के रूप में की थी। डीएवीपीजी कॉलेज आजमगढ़ (DAVPG College Azamgarh) के छात्र संघ चुनाव में वो उप मंत्री चुने गए थे। साल 1996 में पहली बार मुलायम सिंह यादव ने दारा सिंह चौहान को राज्यसभा भेजा था। इसके बाद साल 2000 में उन्हें दोबारा राज्यसभा भेजा गया। 2006 के बाद उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की पहली पलटी मारी। उन्होंने मायावती की BSP ज्वाइन की और साल 2009 में उन्होंने पहली बार घोसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। यहां से जीतकर वह संसद पहुंचे। लोकसभा में उन्हें बसपा संसदीय दल का नेता भी बनाया गया। फिर साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने एक बार फिर घोसी सीट से ही बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। लेकिन इस बार उन्हें बीजेपी के हरिनारायण राजभर ने हरा दिया। इसी के ठीक बाद बाद 2015 में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया। लेकिन अब एक फिर दारा सिंह चौहान ने समाजवादी पार्टी में वापसी कर ली है।
योगी सरकार पर दारा सिंह चौहान के आरोप
योगी सरकार (Yogi Sarkar) में वन और पर्यावरण मंत्री रहे दारा सिंह चौहान ने यूपी सरकार पर दलितों, पिछड़ों और किसानों के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया था। योगी सरकार से इस्तीफा देने वाले कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य (Swamy Prasad Maurya) और धर्मसिंह सैनी (Dharam Singh Saini) के साथ-साथ कई विधायक भी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में शामिल हुए थे। इन सभी ने भी योगी सरकार पर दलितों, पिछड़ों और किसानों के साथ अन्याय होने का आरोप लगाया था। आपको बता दें कि भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी ने उन्हें बीजेपी के पिछड़ा वर्ग मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था।
दारा सिंह का 20 जिलों में प्रभाव
आपको बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव (UP Vidhan Sabha Chunav 2017) से पहले मायावती (Mayawati) की बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) छोड़कर कर दारा सिंह चौहान BJP में आए थे। साल 2017 के चुनाव में बीजेपी ने दारा सिंह चौहान को मऊ जिले की मधुवन सीट से उम्मीदवार बनाया और वह वहां जीते। जिसके बाद योगी सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया और वन, पर्यावरण एवं जंतु उद्यान मंत्री की जिम्मेदारी दी। साथ ही बाराबंकी जिले का प्रभारी मंत्री भी बनाया। वो फिलहाल मऊ के मधुबन विधानसभा सीट से विधायक हैं। यूपी की राजनीति में दारा सिंह चौहान को चौहान समाज का बड़ा नेता माना जाता है। राजनीतिक पंडित यूपी के मऊ समेत 20 जिलों में दारा सिंह चौहान का अच्छा खासा प्रभाव मानते हैं। इस लिहाज से दारा सिंह चौहान का यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Vidhan Sabha Election 2022) से पहले समाजवाती पार्टी में आना अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के लिये बड़ा फायदा माना जा रहा है।
घोसी विधानसभा सीट से लड़ने की तैयारी
आपको बता दें कि दारा सिंह चौहान यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में समाजवादी पार्टी से घोसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। अभी तक यह सीट मुख्तार अंसारी के बेटे को मिलने की चर्चा थी। माना जा रहा है कि अगर दारा सिंह इस सीट से सपा के टिकट पर लड़ते हैं तो उनकी जीत एकदम पक्की होगी। सपा भी मुख्तार अंसारी की आपराधिक छवि से दूर रहने के लिए दारा सिंह को टिकट दे सकती है। मऊ और घोसी मुख्तार अंसारी का गढ़ है। वहीं दारा सिंह चौहान की मौजूदा सीट मऊ की मधुबन विधानसभा भी सपा के साथ जाने से मजबूत है। हालांकि जातिगत समीकरणों के हिसाब से उनके लिए घोसी सीट ज्यादा सुरक्षित दिख रही है।