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Lumpy Virus: पशुओं पर कहर बरपा रहा लंपी वायरस, कांग्रेस की मांग- जांच व टीकाकरण की स्पीड बढ़ाए सरकार

लखनऊ. लंपी वायरस पशुओं पर कहर बनकर टूट रहा है। देश में अब तक करीब 70 हजार पशु लंपी स्किन डिजीज की चपेट में आकर मर चुके हैं, जबकि लाखों इसकी चपेट में हैं। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कुछ राज्यों में इसका प्रकोप सबसे ज्यादा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, लंपी वायरस संक्रमित पशुओं से अन्य पशुओं में बेहद तेजी से फैलता है। यह वायरस खून चूसने वाले कीड़ों, मच्छर की कुछ प्रजातियों और पशुओं के कीड़ों के काटने से फैलता है। यूपी में लंबी वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की तैयारियों पर निशाना साधते हुए इसकी रोकथाम के लिए टीकाकरण की स्पीड और तेज करने की मांग की है।

कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने कहा कि लंपी वायरस के कारण अब तक प्रदेश के गांवों में लाखों की संख्या में गोवंश संक्रमित हो चुके हैं। सरकारी आंकड़े और दावों के उलट जमीनी हकीकत में टीकाकरण की स्पीड भी काफी धीमी है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के समय सरकारी लापरवाही के कारण ही उत्तर प्रदेश में मरने वालों की संख्या बढ़ी थी। इस लिहाज से कोविड-19 महामारी की भयावहता को एक सबक के तौर पर सरकार को देखना चाहिए। प्रदेश के लगभग सभी जिले लंपी वायरस से प्रभावित हैं। अलीगढ़, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर में सबसे ज्यादा मामले सामने आये हैं। वहीं, मथुरा, बुलंदशहर, बागपत, हापुड, मेरठ, शामली और बिजनौर के साथ ही बुंदेलखंड और पूर्वांचल के भी जिलों में भी वायरस तेजी से पांव पसार रहा है। हालांकि इसका सीधा प्रभाव गोवंश (गाय भैंस) पर दिख रहा है। परंतु बिहार, मध्य प्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश में इसके बढ़ते फैलाव को देखते हुए निश्चित तौर पर इसका सीधा प्रभाव समूचे देशवासियों एवं पशुपालकों पर भी पड़ेगा।

..तो पशुपालकों को भुगतना पड़ेगा अभिशाप
प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने बताया कि पशु विशेषज्ञों से मिली जानकारी के अनुसार, लंपी वायरस संक्रमण साल 2019 में पश्चिम बंगाल में देखा गया था। अब वर्ष 2022 में इसका प्रभाव देश के करीब 15 राज्यों में देखने को मिल रहा है। ज्ञात हो कि वर्ष 1929 में अफ्रीका में पाई गई, यह बीमारी लंबे अन्तराल के बाद वर्ष 2015 में तुर्की, ग्रीस और 2016 में रूस में तबाही मचा चुकी है। उक्त जानकारी देने का मकसद यह है कि आवश्यकता से अधिक इसकी तीव्रता को देखते हुए अगर संपूर्ण जांच और टीकाकरण का कार्य युद्ध स्तर पर नहीं किया गया, तो करोना वायरस की तरह देश के अन्य राज्य भी लंपी वायरस के फैलाओ की गिरफ्त में आ जाएंगे। जिससे एक और महामारी का अभिशाप पशुपालक देशवासियों को भुगतना पड़ सकता है।

‘केंद्र व राज्य सरकार जारी करे तत्काल विशेष एडवायजरी’
प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने केन्द्र व प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार को लंपी वायरस के संदर्भ में तत्काल विशेष एडवाइजरी जारी करना चाहिए। पशुओं में वायरस के प्रभाव की जांच का दायरा तीव्रता से बढ़ाया जाए। वायरस से प्रभावित पशुओं को अलग रखने की व्यवस्था हो। पशुओं की मृत्यु हो जाने पर शव को खुले में न छोड़ें। इसके साथ ही पशुओं की मृत्यु की सूचना, क्षेत्रीय स्तर पर जागरूकता हेतु सार्वजनिक कराया जाए। पशुपालन क्षेत्र में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव बढ़ाया जाए। उन्होंने बताया कि विगत दिनों में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी भी योगी सरकार को पत्र लिखकर, प्रदेश में गोवंश की दुर्दशा पर अपना आक्रोश व्यक्त कर चुकी हैं। उन्होंने गोवंश की सुरक्षा, चिकित्सा, टीकाकरण को लेकर लगातार इस संदर्भ में सरकार से अपनी चिंता व्यक्त किया है। इसी क्रम में प्रदेश कांग्रेस जन व्यथा निस्तारण समिति के सचिव संजय शर्मा ने भी टीकाकरण अभियान की तेजी के संदर्भ में मुख्यमंत्री योगी को पत्र भेज चुके हैं। जिसमें गोवंश के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ‘‘लंपी वायरस’’ की गंभीरता को देखते हुए विशेष जांच और टीकाकरण अभियान में तेजी लाये जाने और सुरक्षा हेतु विशेष सुझाव सरकार को भेजे हैं।

यूपी में गोवंश का बुरा हाल: कांग्रेस प्रवक्ता
कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने कहा कि सीएम योगी के उत्तर प्रदेश में गोवंश का बुरा हाल हो रखा है। लगातार प्रदेश में गायों की और गोशालाओं की दुर्दशा का वीडियो आए दिन सोशल मीडिया में देखने को मिल रहे हैं। रजिस्टर्ड गौशालाओं में भी लापरवाही के कारण गोवंश के शरीर पर लापरवाही के कारण कीड़े पड़ने तक जैसी घिनौनी, अमानवीय घटनाएं भी देखने को मिली हैं। मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश में गोवंशों की स्वास्थ्य सुरक्षा की बदहाली चरम पर देखने को मिल रही हैं। प्रशासनिक अधिकारियों को भी इस बारे में सूचित करने पर आरोप नगर निगम के सिर पर डाल दिया जाता हैं। ऐसे में लंपी वायरस के बढ़ते प्रभाव और फैलाव को तत्काल प्रभाव से रोकना अति आवश्यक है, तो इसके लिए जांच का दायरा और बढ़ाना होगा और टीकाकरण की गति को भी 4 गुना करना होगा।