
लखनऊ. Life Insurance- वर्तमान में भारत में 24 जीवन बीमा कंपनियां काम कर रही हैं। इनमें एक सार्वजनिक क्षेत्र (LIC) की 23 निजी क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनियां हैं। हर कंपनी के पास लाखों की संख्या में ग्राहक हैं। ऐसे में कई ग्राहक जीवन बीमा कंपनी से असंतुष्ट हो सकते हैं? ऐसे में उनकी शिकायत के लिए कई प्लेटफॉर्म हैं। बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत के लिए कई प्लेटफॉर्म हैं, जहां शिकायत की जा सकती है। आइये जानते हैं इनके बारे में–
आंतरिक शिकायत निवारण प्रकोष्ठ
हर बीमा कंपनी का अपना आंतरिक शिकायत निवारण प्रकोष्ठ होता है। यहां पर बीमाकर्ता के खिलाफ शिकायत की जा सकती है। प्रकोष्ठ को शिकायत का जवाब 10 दिनों के भीतर देना होता है।
एकीकृत शिकायत प्रबंधन प्रणाली (Integrated Grievance Management System):-
IRDA द्वारा IGMS की शुरुआत की गई है। यह उद्योग में शिकायत निवारण की निगरानी के लिए इंश्योरेंस ग्रीवांस डाटा और टूल के केंद्रीय संग्राहक के रूप में कार्य करता है। बीमा कंपनी के खिलाफ यहां शिकायत की जा सकती है। यह सभी कंपनियों की शिकायत सुनता है और TAT (Term Arround Time) के माध्यम से नजर रखता है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम Consumer Protection Act (COPA) 1986 :-
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 ग्राहकों के हितों का बेहतर संरक्षण और ग्राहक परिषदों को स्थापित करने के प्रावधान बनाने और ग्राहकों के विवाद निपटाने के लिए, अन्य प्राधिकरणों को बनाने के लिए पारित किया गया। इस अधिनियम का संशोधन उपभोक्त संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2022 द्वारा किया गया। ग्राहक यहां शिकायत कर सकता है। यहां शिकायत के लिए तीन फोरम हैं…
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शिकायत के तीन फोरम
1- जिला फोरम- 20 लाख तक के दावे (वर्तमान में 50 लाख)
2- राज्य फोरम- 20 लाख से एक करोड़ तक के दावे (वर्तमान में 02 करोड़)
3- राष्ट्रीय फोरम- 1 करोड़ से ऊपर के दावे (वर्तमान में 02 करोड़ से ऊपर)
बीमा लोकपाल (Insurance Ombudsman):-
बीमा अधिनियम 1938 व लोक शिकायत निवारण नियम के तहत 11 नवंबर 1998 को बीमा लोकपाल का गठन किया गया था। भारत में लोकपाल के 17 ऑफिस हैं। लोकपाल बीमा कंपनी और शिकायतकर्ता के बीच मध्यस्थता का काम करता है। लोकपाल को शिकायत लिखित रूप में जरूरी दस्तावेजों की साथ की जानी चाहिए। लोकपाल को शिकायत मिलने के 30 दिनों के भीतर अपना फैसला (सुलह) सुनाना होता है जबकि दूसरा फैसला 90 दिनों के भीतर देगा, जिसे अवार्ड कहते हैं। बीमित को एक महीने के अंतराल में इस अवार्ड के स्वीकृति की सूचना बीमा कंपनी को देनी होती है। स्वीकृति पत्र की प्राप्ति के 15 दिनों के भीतर लोकपाल को लिखित रूप में सूचना देनी होगी। लोकपाल निर्दिष्ट क्षेत्र की ही समस्याएं सुनता है।
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लोकपाल से शिकायत कब कर सकते हैं-
- जब बीमा कंपनी ने शिकायत को अस्वीकार कर दिया हो या फिर एक महीने के भीतर कोई जवाब नहीं दिया हो
- शिकायतकर्ता बीमाकर्ता के जवाब से संतुष्ट न हो
- बीमा कंपनी द्वारा अस्वीकृति दिनांक के एक साल के भीतर शिकायत की गई हो। मतलब लोकपाल एक साल से अधिक पुरानी शिकायत नहीं सुनता है।
- शिकायत किसी अदालत, ग्राहक फोरम या मध्यस्थता में लंबित न हो
शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया
- शिकायत को व्यक्तिगत रूप से दर्ज किया जा सकता है या फिर डाक द्वारा भी भेजा जा सकता है
- शिकायतकर्ता खुद या फिर उसके प्राधिकृत एजेंट द्वारा शिकायत दर्ज की जा सकती है।
- शिकायत दर्ज करवाने के लिए न तो कोई शुल्क जरूरत होता है और न ही किसी वकील की
शिकायतों की प्रकृति - दावों के निपटान में देरी
- दावों का निपटारा न होना
- दावों को रद्द करना
- हानि का परिणाम
- पालिसी के नियम, शर्तें आदि
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