
लखनऊ. UP Elections 2022- दिल्ली का रास्ता यूपी से ही होकर जाता है, इसीलिए कहा जाता है कि 403 विधानसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश की राजनीति देश की राजनीतिक दिशा तय करती है। कुछ ही महीनों बाद होने वाले यूपी विस चुनाव की तैयारियों में सभी दल जुट गये हैं। पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ सहित भाजपाई जनता के बीच केंद्र व प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने में जुटे हैं। प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी छोटे-छोटे दलों को साथ लेकर बड़ा धमाका करने की तैयारी कर रही है। वहीं, प्रियंका गांधी की अगुआई में कांग्रेस पार्टी जमीनी स्तर पर सबसे ज्यादा सक्रिय दिख रही है। जबकि नेताओं की भगदड़ के बाद बसपा नये सिरे से चुनावी तैयारियों में जुटी है। 2017 में बसपा को 19 सीटों पर जीत मिली थी, अब जिनमें से पार्टी के साथ महज 5 विधायक ही रह गये हैं। इनमें से एक मुख्तार अंसारी जेल में हैं। बाकी या तो पार्टी छोड़ गये या फिर मायावती ने उन्हें निष्कासित कर दिया। असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी प्रदेश में अपने लिए जमीन तलाश रही हैं, जबकि रालोद, सुभासपा और अपना दल सहित आधा दर्जन से अधिक क्षेत्रीय दलों ने ‘बड़े भाई’ का साथ पकड़ लिया है।
उत्तर प्रदेश में हर दिन धड़ाधड़ शिलान्यास और लोकार्पण किये जा रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार सक्रिय हैं। आरएसएस और उसके आनुषंगिक संगठन बीजेपी के पक्ष में माहौल तैयार कर रहे हैं। विपक्षी दलों का दावा है कि उत्तर प्रदेश के मतदाता इस बार भाजपा से दूरी बना रहे हैं। वह किसानों की दुर्दशा, महंगाई, बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था के मुद्दों को केंद्र में रखकर वोट करेंगे। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने नेता विपक्षी दलों को नाकारा करार देते हुए प्रदेश में विकास की बयार बहने का दावा कर रहे हैं। उधर- किसान आंदोलन, शिक्षकों और कर्मचारियों के प्रदर्शन सरकार की मुश्किलों में इजाफा कर रहे हैं।
यूपी विधानसभा चुनाव में प्रमुख मुद्दे
- महंगाई
- बेरोजगारी
- कानून-व्यवस्था
- किसान आंदोलन