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कृषि उपनिदेशक कार्यालय में करोड़ों का घोटाला, डीडी ने पद पर रहते हुए बाबू के सहारे खेला खेल, बन गया काली कमाई का धन कुबेर

बाराबंकी. उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) के कृषि विभाग में डेयरी, कृषि या उद्यान की स्नातक की पढ़ाई करने वाले 45 वर्ष तक के युवाओं के लिये एग्री जंक्शन (Agri Junction) यानी प्रशिक्षित कृषि उद्यमी स्वावलंबन योजना (Trained Agricultural Entrepreneurs Swavalamban Scheme) है। प्रदेश के हर विकासखंड में पात्र युवाओं को इस योजना का लाभ दिया जाता है। प्रदेश के सभी जिलों में उप निदेशक कृषि आवेदनपत्र लेकर युवाओं को इस योजना के लिये नामित करते हैं। इस योजना को चलाने के पीछे सरकार का मकसद ऐसे युवाओं को उद्यमी बनाना है, जिन्होंने डेयरी, कृषि या उद्यान की पढ़ाई की हो। लेकिन बाराबंकी जिले में तो उप निदेशक कृषि रहते हुए एक अधिकारी ने अपने कार्यालय के दूसरे कर्मचारियों के साथ मिलकर इस योजना में करोड़ों का घोटाला ही कर डाला। इस डिप्टी डायरेक्टर (डीडी) ने अपने बाबुओं के सहारे ऐसा जाल बुना कि योजना के तहत सरकार की तरफ से मिलने वाला करोंड़ों का अनुदान असल हकदार युवाओं के खाते में न भेजकर विभाग के कर्मचारियों के ड्राइवरों और दूसरों के खाते में ट्रांसफर करवा दिया। फिर बाद में यह रकम उनसे वापस लेकर उस उप निदेशक कृषि ने अपने बाबुओं के साथ डकार ली। इस डीडी ने अपने कार्यकाल में पद पर रहते हुए ऐसे ही आत्मा योजना के तहत संचालित फार्म स्कूल और सहयोगी कृषक जैसी योजनाओं में भी बड़ा खेल करके काली कमाई अर्जित की और जिले में अपनी अकूत संपत्ति भी बनाई। इतना ही नहीं इस अधिकारी ने अपनी बीवी के नाम अरबों की जमीन खरीदी और उसपर कई सरकारी योजनाओं से लाखों का अनुदान भी लिया। कार्यालय उप निदेशक कृषि का यह पूरा कारनामा एक शख्स ने उजागर किया है। साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक भी आईजीआरएस के माध्यम से अपनी शिकायत पहुंचाई है।

कृषि उपनिदेशक कार्यालय में करोड़ों का घोटाला
पूरा मामला बाराबंकी जिले के उप निदेशक कृषि कार्यालय (Deputy Director Agriculture Office Barabanki) से जुड़ा हुआ है। जहां अनिल सागर (DD Anil Sagar) नाम के एक अधिकारी ने उप निदेशक कृषि के पद पर रहते हुए सरकार की कई योजनाओं का पैसा खुद हजम कर लिया। इस उप निदेशक कृषि कार्यालय में तैनात प्रबल प्रताप सिंह नाम का एक बाबू जो 10 साल से एक ही पटल पर तैनात है, वह इस पूरे गड़बड़झाले का असल खिलाड़ी बताया जा रहा है। यह बाबू 10 साल से इस कार्यालय के एक ही पटल पर तैनात है, जो कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के आदेश की भी खुलेआम अवहेलना है। क्योंकि मुख्यमंत्री का साफ आदेश है कि किसी भी विभाग का कोई भी बाबू तीन साल से ज्यादा एक पटल पर तैनात नहीं रह सकता। हालांकि लगभग पांच सालों तक बाराबंकी में उप निदेशक कृषि के पद पर रहने वाले अनिल सागर का इस खुलासे से कुछ महीनों पहले ही ट्रांसफर हो गया है और वह इस समय कृषि भवन लखनऊ मुख्यालय में उप निदेशक कृषि रक्षा के पद पर तैनात हैं, लेकिन सरकारी योजनाओं में घोटाला करने वाले इस अधिकारी के कारनामे के खुलासे ने पूरे जिले में हड़कंप मचा दिया है। आपको बता दें कि विभाग की योजनाओं के घोटाले का खुलासा बाराबंकी जिले के एक किसान सुनील कुमार पूरे सबूतों के साथ किया है। इतना ही नहीं सुनील कुमार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक भी आईजीआरएस के माध्यम यह पूरा मामला पहुंचाया है।

10 साल से एक ही पटल पर तैनात बाबू
सुनील कुमार की तरफ से पेश किये गये सबूतों के मुताबिक उप निदेशक कृषि बाराबंकी कार्यालय में 10 साल तक एक ही पटल पर तैनात रहने वाले बाबू प्रबल प्रताप सिंह ने अनिल सागर के इशारे पर एग्री जंक्शन और आत्मा योजना के तहत संचालित फार्म स्कूल और सहयोगी कृषक जैसी तमाम योजनाओं के अनुदान का पैसा अपने प्राइवेट ड्राइवर संजय जायसवाल समेत दूसरे दर्जनों लोगों के खाते में ट्रांसफर करवाया। यानी इन योजनाओं के अंतर्गत मिलने वाली अनुदान की रकम जो पात्र युवाओं के खाते में जानी चाहिये थी, उसने अपने ड्राइवर समेत दूसरों के खाते में ट्रांसफर करवाई।

योजना में बड़ा खेल
दरअसल एग्री जंक्शन योजना में सरकार युवाओं की चार लाख रुपये की मदद करती है। इसमें 50 हजार रुपये उसे खुद लगाना होता है, जबकि साढ़े तीन लाख रुपये का बैंक से ऋण दिलाया जाता है। साढ़े तीन लाख रुपये ऋण पर लगने वाले ब्याज पर सरकार 42 हजार रुपये का अनुदान भी देती है। साथ ही एक साल तक उनकी दुकान के प्रति महीने 1000 रुपये किराये के हिसाब से 12000 रुपये का भी भुगतान सरकार करती है। योजना में चयनितों को खाद, बीज और दवा के लिए मुफ्त में लाइसेंस भी दिलाया जाता है। यानी बैंक से मिले साढ़े तीन लाख रुपये के ऋण के अलावा बाकी लगभग 50 से 60 हजार रुपये के अनुदान की रकम को इस बाबू ने अपने ड्राइवर समेत दूसरों के खाते में ट्रांसफर करवाया।

दूसरी योजनाओं में भी बंदरबांट
ऐसे ही आत्मा योजना के तहत संचालित फार्म स्कूल योजना से मिलने वाले 36 हजार और सहयोगी कृषि में मिलने वाले 12 हजार रुपये के अलावा दूसरी कई योजनाओं के अनुदान को भी अपनों के बीच ही बांटकर अपने आका यानी अनिल सागर तक पहुंचाया। इतना ही नहीं प्रबल प्रताप सिंह ने अपने खुद के खातों को कृषि विभाग के पोर्टल पर रजिस्टर कराकर उसमें भी लाखों रुपये ट्रांसफर किये। इसी तरह से सरकारी रकम की बंदर बांट करके साधारण सी सैलरी पाने वाला यह बाबू भी काली कमाई का धन कुबेर बन बैठा और इस समय जिले में करोड़ों की संपत्ति बना ली है। इसके अलावा अनिल सागर ने भी जिले में अपनी पत्नी अर्चना सागर के नाम अरबों की संपत्ति बनाई। जिसपर लाखों का सरकारी अनुदान भी हासिल कर लिया। इतना ही नहीं अनिल सागर के संरक्षण में कार्यालय के दूसरे बाबुओं के खाते में भी करोड़ों करोड़ों रुपये डलवाये गये। जो जांच का विषय है।

पत्नी के नाम बनाई संपत्ति
सरकारी धन को हजम करने वाले अधिकारी अनिल सागर ने अपनी पत्नी अर्चना सागर के नाम बाराबंकी जिले की रामनगर तहसील क्षेत्र के मलौली गांव में करीब 36 बीघे का शानदार फार्मं हाउस बनवाया है। जिसमें मत्स्य विभाग से करीब 30 लाख का अनुदान लेकर मछली पालन करवा रहे हैं। साथ ही कृषि विभाग से अनुदान लेकर सोलर पंप भी लगवाया। और तो और अनिल सागर ने अपनी पत्नी के नाम प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की भी तीन किश्तें हासिल की हैं। जो कि सरासर नियम विरुद्ध है।

जांच रिपोर्ट के आधार पर होगी कार्रवाई
वहीं इन तमाम खुलासों पर बाराबंकी में वर्तमान उप निदेशक कृषि श्रवण कुमार ने बताया कि उन्हें शिकायत मिली है और संबंधित कर्मचारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। वहीं अनिल सागर को लेकर उन्होंने कहा कि वह उनके समकक्षीय अधिकारी हैं। इसलिये सुनील कुमार ने जो शिकायती पत्र मुख्यमंत्री के पास भेजा है। शासन उसपर जांच कराएगा। उसके बाद जो भी उस जांच में निकलकर सामने आएगा। उसके मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। वहीं मत्स्य विभाग के अधिकारी रमेश चंद्र ने बताया कि जिसके पास अपनी जमीन है वह उनके विभाग से अनुदान ले सकता है। इसी क्रम में अनिल सागर की पत्नी अर्चना सागर ने भी ऑनलाइन अप्लाई करके 30 लाख का अनुदान मछली पालन करने के लिये किया है।