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बेनी बाबू के राजनीतिक कद का असर, बेटे राकेश वर्मा को अखिलेश ने दिया ‘कुर्सी’ जीतने का जिम्मा, तीसरी पीढ़ी को भी राजनीति में लाए

लखनऊ. अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का गढ़ कहे जाने वाले बाराबंकी (Barabanki) जिले को और मजबूत करने के लिए अपनी सरकार में मंत्री रहे तीन प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है। अखिलेश यादव ने बाराबंकी में कुर्सी विधानसभा सीट (Kursi Vidhan Sabha Seat) से पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. बेनी प्रसाद वर्मा (Beni Prasad Verma) के पुत्र व पूर्व कारागार मंत्री राकेश वर्मा (Rakesh Verma), रामनगर विधानसभा सीट (Ramnagar Vidhan Sabha Seat) से पूर्व मंत्री फरीद महफूज किदवाई (Farid Mehfooz Kidwai) और दरियाबाद सीट (Dariyabad Vidhan Sabha Seat) से पूर्व मंत्री अरविंद सिंह ‘गोप’ (Arvind Singh Gope) को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है। इसके अलावा बाराबंकी की सदर विधानसभा सीट (Sadar Vidhan Sabha Seat) से अखिलेश यादव ने सुरेश यादव (Suresh Yadav) को एक बार फिर टिकट दिया है। सुरेश यादव बाराबंकी की सदर विधानसभा सीट से लगातार 10 साल से विधायक हैं और उन्होंने मोदी लहर में जिले में अकेले अपनी ही सीट बचाई थी।

राकेश वर्मा को कुर्सी विधानसभा से दिया टिकट
आपको बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. बेनी प्रसाद वर्मा ने अपने जीवित रहते अपने पुत्र राकेश वर्मा को विधायक और कैबिनेट मंत्री बनवाकर उन्हें स्थापित किया था। यह उनके राजनीतिक कद का ही असर है कि सपा मुखिया ने बेनी के पुत्र राकेश वर्मा को कुर्सी विधानसभा से टिकट दिया है। दरअसल बेनी प्रसाद वर्मा को मुलायम सिंह यादव का करीबी माना जाता रहा था। वह कुर्मियों के बड़े नेता थे। उन्हें जिले का विकास पुरुष कहा जाता है। बाराबंकी के रहने वाले बेनी प्रसाद वर्मा उत्तर प्रदेश के कुर्मी समाज के बड़े नेता माने जाते थे। कुछ समय वो कांग्रेस में भी रहे और इस दौरान यूपीए 2 की मनमोहन सिंह सरकार में बेनी प्रसाद वर्मा केन्द्रीय इस्पात मंत्री थे।

बेनी का राजनीति में बड़ा प्रभाव
राष्ट्रीय मोर्चा- वाम मोर्चा की एचडी देवगौड़ा सरकार में वो 1996 में संचार राज्‍यमंत्री बने थे। फिर उन्हें संसदीय कार्य राज्‍यमंत्री का भी जिम्मा सौंपा गया। 1998, 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में वो सपा के टिकट पर कैसरगंज से जीतकर संसद पहुंचे थे। 2009 के चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर गोंडा सीट से जीते थे और केंद्र में मंत्री बने। बेनी प्रसाद वर्मा समाजवादी पार्टी के जनरल सेक्रेटरी थे। उत्‍तर प्रदेश सरकार में सपा सरकार में वो लंबे समय तक पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे। बाराबंरी की सभी छह विधानसभा क्षेत्रों के साथ आस-पास के जिलों में बेनी प्रसाद वर्मा की गहरी पैठ थी। जिसके चलते बेनी प्रसाद वर्मा को कई बार राज्य और केंद्र सरकार में मंत्री पद से नवाजा गया।

तीसरी पीढ़ी भी राजनीति में आई
वहीं स्वर्गींय बेनी प्रसाद वर्मा की तीसरी पीढ़ी भी अब राजनीतिक मैदान में आ गई है। दरअसल उनकी पौत्री श्रेया वर्मा (Shreya Verma) को भी समाजवादी पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी देते हुए उन्हें महिला सभा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है। दरअसल सपा से राज्यसभा सांसद रहने के दौरान ही पिछले साल उनका निधन हो गया था। लेकिन अब पूर्व मंत्री राकेश वर्मा की पुत्री श्रेया वर्मा भी अपने बाबा के कारवां को आगे बढ़ाने के लिए राजनीति के अखाड़े में कूदी हैं।

परिवार की कलह भी सामने आई
हालांकि समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य और दिग्गज नेता रहे दिवंगत बेनी प्रसाद वर्मा की बहू चित्रा वर्मा को कांग्रेस ने दरियाबाद विधानसभा सीट से टिकट दे दिया है। चित्रा बेनी प्रसाद वर्मा के भाई रमेश वर्मा की बहू हैं। चित्रा वर्मा को टिकट मिलने के बाद वर्मा परिवार की कलह भी अब चुनावी मैदान में सामने आ गई है। दरअसल चित्रा वर्मा का आरोप है कि 72 साल से हमारे ससुर रमेश वर्मा ने बाबूजी (बेनी प्रसाद वर्मा) की सेवा की, लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ। बेनी बाबू के बेटे राकेश वर्मा ने ब्लॉक प्रमुख चुनाव को लेकर हमारे साथ नाइंसाफी की और ब्लॉक प्रमुख का टिकट अपने छोटे भाई की बहू रेनू को दे दिया। चित्रा ने कहा कि विरासत में सिर्फ एक ब्लॉक प्रमुख की सीट मिली थी। उसे भी इन लोगों ने छीन लिया। जिसके बाद अब कांग्रेस ने हमें सम्मान दिया है। इस सीट पर अब कांग्रेस का परचम लहराएगा।