
बाराबंकी. Amrit Sarovar in UP: किनारों पर लहराती हरियाली, नीले स्वच्छ पानी में हिलोरे मारतीं बतखें। ऊंचाइयों को छूतीं बरगद-पीपल और पाकड़ की टहनियां। इस मनोरम जगह पर भ्रमण के लिए चारों ओर बना पाथवे। यहां के वातावरण को बैठकर महसूस करने के लिए जगह-जगह बनी बेंच और न जाने क्या-क्या। ये नजारा किसी मशहूर झील या झरने के किनारे का नहीं, बल्कि बाराबंकी के विकास खण्ड मसौली की ग्राम पंचायत रसौली में नवविकसित हुए अमृत सरोवर का है। सरकार की योजना ने यहां एक प्राचीन पोखर को जीवन और पर्यावरण को अमृत दिया गया है। यह अमृत सरोवर प्रदेश के अन्य जिलों के लिए भी मॉडल बन गया है। यहां तक कि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी इस अमृत सरोवर के कायाकल्प के लिये बीडीओ डॉ. संस्कृता मिश्रा और उनकी टीम की जमकर सराहना की है।
दूसरे जिलों के लिये मॉडल बना अमृत सरोवर
बाराबंकी के विकास खण्ड मसौली की ग्राम पंचायत रसौली में खण्ड विकास अधिकारी डॉ. संस्कृता मिश्रा के प्रयासों से जनपद का पहला अमृत सरोवर बनाकर तैयार किया गया है। इस पोखर को पहले सहस्त्रगन्डी तालाब के रूप में जाना जाता था, जिसे अब अमर शहीद कामता प्रसाद अमृत सरोवर के रूप में विकसित किया गया है। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर बीडीओ डॉ. संस्कृता मिश्रा ने इसकी नींव रखी और तीन महीने में एक एकड़ में फैले तालाब को नया रूप दे दिया गया। पानी एकत्रित करने के लिए इसकी खोदाई कराई गई। साथ ही इसके किनारों पर छायादार और फलदार पौधे रोपे गए हैं। टहलने के लिए पाथवे बनाया गया, बाउंड्रीवाल पर बेहतरीन स्लोगन की पेंटिंग, सेल्फी प्वाइंट और बीच-बीच में आकर्षक बेंच भी रखी गई हैं। साथ ही परिसर में रंगबिरंगी हटनुमा बैठक भी बनायीं गयी हैं। रसौली और इसके मजरों में कोई ऐसा स्थल नहीं था, जहां लोग सुबह-शाम मनोरम स्थल पर कुछ समय गुजार सकें। ऐसे में अमृत सरोवर योजना ने इस कमी को पूरा कर दिया है। जिसकी अब ग्रामीण भी जमकर तारीफ कर रहे हैं।
पहले सहस्त्रगन्डी तालाब के रूप में थी पहचान
बाराबंकी के तत्कालीन डीएम डा. आदर्श सिंह और सीडीओ एकता सिंह के निर्देशन में बीडीओ डॉ. संस्कृता मिश्रा और उनकी टीम विकासखंड मसौली के अवर अभियंता राजेश कुमार, तकनीकि सहायक दिलीप कुमार रावत, पंचायत सचिव कृष्ण कुमार और ग्राम प्रधान मो. जियाउलहक अंसारी ने जिस उमंग के साथ जनपद का पहला अमृत सरोवर बनाकर तैयार किया। उसकी जिले भर में जमकर तारीफ हो रही है। इस पोखर को पहले सहस्त्रगन्डी तालाब के रूप में जाना जाता था। यहां पर सती खत्राणी माता का मंदिर भी है, जहां प्रत्येक पूणिमा को सैकड़ो भक्त मंदिर की परिक्रमा करते हैं। इसके अलावा सालों पुराना शिवमन्दिर भी इस सरोवर के परिसर में है। ऐसे में यह पोखर पहले से ही दर्शनीय स्थल था, लेकिन अब अमृत सरोवर के रूप में विकसित होने के बाद अब पर्यटक स्थल के रूप में बन गया है।
रमणीक स्थल के दिया रूप
वहीं खण्ड विकास अधिकारी डॉ. संस्कृता मिश्रा ने बताया कि वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण के साथ रमणीक स्थल के रूप में अब यह सरोवर अब विकसित हो चुका है। इस सरोवर के बन जाने से रसौली के गांवों का भूजल स्तर भी सुधरेगा। साथ ही लोगों को गांव में ही ऐसे मनोरम स्थल पर जाने का मौका मिलेगा। बीडीओ डॉ. संस्कृता मिश्रा ने बताया कि इस पवित्र अमृत सरोवर में गांवो का गंदा पानी न आये इसके लिए कार्य किया गया है। अमृत सरोवर में पानी की कमी न हो, इसके लिए तालाब पर बोरिंग करायी गयी है। जिससे सरोवर में हमेशा शुद्ध एव स्वच्छ जल रहे। यहां प्रकाश की भी व्यवस्था की गई है। देखते ही देखते वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण के साथ रमणीक स्थल के रूप में अब यह सरोवर अब विकसित हो चुका है।