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अगर आप खाते हैं बनारसी पान, तो जानें कैसे और कहां होती है इसकी खेती

पान की खेती किसान कब और कैसे करें? कृषि वैज्ञानिक ने दी इसकी पूरी जानकारी |  TV9 Bharatvarsh

वाराणसी : उत्तर प्रदेश के वाराणसी का बनारसी पान पूरी दुनिया को लोगों को खूब पसन्द है। इस पान की अनोखी खासियत है कि जो कोई भी वाराणसी जाता है, वह वहां के पान का सेवन करे बिना रह ही नहीं सकता है, लेकिन बहुत कम ही लोग जानते हैं कि यहां मिलने वाले पान की खेती कहां की जाती है। वाराणसी में जो भी पान आता है वह बिहार के मगध क्षेत्र में उगाए जाते हैं। आमतौर पर इसे मगही पान भी कहा जाता है। इस पान का उपयोग पूरे भारत में कई प्रकार से किया जाता है। कई लोग इसे शौक के लिए खाते हैं, तो धार्मिक आयोजनों में भी पान के पत्तों का काफी महत्व होता है। देशभर के कई इलाकों में प्रमुखता से पान की बेल की खेती की जाती है। कई राज्य सरकारें पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग योजनाओं पर भी काम कर रही हैं। बिहार सरकार की तरफ से लीची के साथ पान को भी जीआई टैग मिला हुआ है। बिहार के नालंदा, औरंगाबाद और गया सहित 15 जिलों में इसकी खेती होती है। यहां के तकरीबन 10 हजार परिवारों का भरण-पोषण इसी पर निर्भर है।

ऐसे होती है पान की खेती

पान की पैदावार करने वाले किसानों का कहना है कि उनके यहां ये खेती जून-जूलाई में शुरू हो जाती है, जबकि प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में अगस्त में भी पान के पौधों की रोपाई की जाती है। इसके अलावा कई राज्यों में इसकी खेती फरवरी मार्च से लेकर अगस्त महीने तक की जाती है। पान के पौधों की रोपाई के लिए मिट्टी का बेड तैयार किया जाता है। इसमें जमीन की पहले जुताई की जाती है। फिर मिट्टी से बेडनुमा आकार की संरचना तैयार की जाती है। फिर इसकी हल्की सिंचाई भी की जाती है। उसके बाद पान के पौधे की रोपाई की शुरुआत होती है। इस दौरान दो पौधों के बीच दूरी का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। यहां किसान कतार से कतार की दूरी 25 से 30 सेमी और पौधे से पौधे की बीच की दूरी 15 सेमी रखते हैं।

कम होती जा रही किसानों की संख्या

दुनिया जिस पान की दीवानी है उसे उगाने वाले किसानों की याद आज के समय में हालात बहुत खराब है। किसानों का कहना है कि जिस रेट पर पान के पत्तों को हमारे बाप-दादा बेचते थे, उसी रेट पर आज के समय में भी बेचना पड़ रहा है। दुनिया बदल गई, मंहगाई बढ़ती जा रही है, लेकिन हमारी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। पहले पान की खेती में अच्छा मुनाफा था, लेकिन अब सरकारी उदासीनता और बढ़ती मंहगाई की वजह से हर साल कुछ गांवों में दो से तीन किसान इसकी खेती से किनारा कर रहे हैं क्योंकि बढ़ती महंगाई के जमाने में उन्हें भारी नुकसान हो जाता है। कुछ वर्षों पहले आस-पास के गांवों में जहां अधिक लोग पान की खेती करते थे, अब पान की खेती करने वाले किसानों की संख्या कम होती जा रही है। जिससे पान की पैदावर कम होती जा रही है।