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Sanathi Nath Mandir: यहां चकनाचूर हुई थी औरंगजेब की जिद, मुगल सेना को भागना पड़ा था उल्टे पांव

हरदोई. Sanathi Nath Mandir Hardoi- हरदोई जिले के मल्लावां में भगवान शंकर का प्रसिद्ध सुनासीर नाथ बाबा मंदिर है। इस मंदिर को सनाथीनाथ बाबा के नाम से भी जानते हैं। इसे छोटा काशी विश्वनाथ धाम भी कहा जाता है। यहां पर हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। खासकर सावन के महीने के हर सोमवार को बहुत विशाल मेला लगता है। मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ के इस सिद्ध स्थान पर जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से भगवान शिव की आराधना करता है, सनाथीनाथ बाबा उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

सुनासीर नाथ बाबा का मंदिर बेहद ही भव्य बना है। मंदिर के बाहर ही शिवजी की दो विशाल प्रतिमाएं बरबस ही आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेंगी। एक प्रतिमा में शिवजी माता सती को हाथ में उठाये हैं तो दूसरी प्रतिमा मंदिर के ठीक गेट पर है, जिसमें वह त्रिशूल व डमरू लिये कैलाश पर खड़े हैं। इसके अलावा मंदिर प्रांगण में भी कई छोटे-बड़े मंदिर हैं। 30 सदस्यों वाली कमेटी मंदिर की देखरेख करती है। यहां अगर कोई भक्त दान का पैसा देना चाहता है तो बदले में उसको रसीद दी जाती है। मंदिर में भक्तों के ठहरने और खाने-पीने का पूरा इंतजाम है।

देवराज इंद्र ने शिवलिंग की स्थापना की थी
सुनासीर नाथ मंदिर आदि काल से लोगों की आस्था का केंद्र रहा है। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष सत्यनाराय गुप्ता ने बताया कि सुनासीर नाथ मंदिर की स्थापना देवताओं के राजा इंद्र ने की थी। उनके ही नाम पर इस मंदिर को सुनासीर नाथ बाबा का मंदिर का जाता है।

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यहां चूर हुई थी औरगंजेब की जिद
इसी स्थान पर मुगल बादशाह औरंगजेब की जिद चकनाचूर हुई थी। उसके साक्ष्य आज भी यहां मौजूद हैं। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष सत्यनारायण गुप्ता के मुताबिक, 16वीं शताब्दी में मुगल आक्रांता औरंगजेब जब अपनी फौज व तलवारों की दम पर देश भर के मंदिरों व देव स्थानों को ध्वस्त करते हुए गंगा की तराई में आ पहुंचा था। यहां के स्वर्णजड़ित शिव मंदिर पर औरंगजेब की नियत खराब हो गई थी। इतिहासकार बताते हैं कि मुगल आक्रांता के मंसूबों की भनक लगते ही गौराखेड़ा के शूरवीरों ने उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। लेकिन, वह विशाल व अत्याधुनिक हथियारों से लैस मुगल सेना के सामने ज्यादा देर टिक नहीं सके। इसके बाद मनमानी पर उतारू औरंगजेब की सेना ने मंदिर में लूटपाट की। सैनिकों ने सबसे पहले मंदिर में लगा दो क्विंटल के सोने का कलश उतरवा लिया। फर्श में लगीं सोने की गिन्नियां व सोने के घंटे लूट लिए। मंदिर का भवन भी ध्वस्त कर दिया।

ततैयों ने मुगल सिपाहियों को सिखाया था सबक
इतना ही नहीं औरंगजेब ने इस शिवलिंग को खुदवाने की पूरी की कोशिश की। लेकिन जब मुगल सिपाही सफल नहीं हुए तो शिवलिंग को आरे से काटना चाहा। आरा चलाते ही शिवलिंग से दूध की धारा निकली और फिर रक्त की। लेकिन, इतने पर भी जब मुगल सैनिक नहीं रुके तो ततैया, बर्रैया और मधुमख्यिों के झुंड ने उन पर हमला कर दिया। नतीजन मुगल सैनिक भाग खड़े हुए और फिर कभी मुड़कर मंदिर की तरफ नहीं देखा। शिवलिंग पर आज भी आरे का निशान देखा जा सकता है। इसके बाद मंदिर कमेटी और श्रद्धालुओं के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया। बीते वर्ष योगी सरकार ने परिसर के सौंदर्यीकरण के लिए 50 लाख रुपए दिये थे।

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