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Lok Sabha Byelections 2022: आजमगढ़ में त्रिकोणीय लड़ाई, हार-जीत तय करेंगे मुस्लिम मतदाता, रामपुर में ऐसे बन रहे समीकरण

हरिओम द्विवेदी

आजमगढ़. Lok Sabha Byelections 2022- देश की 3 लोकसभा सीटों पर और 7 विधानसभा सीटों पर 23 जून को उपचुनाव होने हैं जिनमें से उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटें शामिल हैं। 2019 में यह दोनों ही सीटें समाजवादी पार्टी के पास थीं, लेकिन 2022 में विधायक चुने जाने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आजमगढ़ और आजम खान ने रामपुर लोकसभा सीटें छोड़ दी थीं। अब इन पर उपचुनाव हो रहा है। वैसे तो इन सीटों पर हार-जीत का सत्ता के समीकरणों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, लेकिन जीतने वाले दल को मनोवैज्ञानिक बढ़त जरूर मिलेगी। यह दोनों ही सीटें सपा का गढ़ मानी जाती हैं, लेकिन इस बार यहां की लड़ाई आसान नहीं रहने वाली है। खासकर आजमगढ़ में क्योंकि यहां भाजपा और बसपा के कैंडिडेट मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं। वहीं, करीब 55 फीसदी आबादी वाले रामपुर लोकसभा क्षेत्र में माहौल साइकिल के पक्ष में नजर आ रहा है। फिलहाल, जनता का मूड क्या है? यह 26 जून को आने वाले चुनाव परिणाम ही बताएंगे। 23 जून को करीब लाख मतदाता 12 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में बंद करेंगे।

आजमगढ़ में त्रिकोणीय लड़ाई
यादव-मुस्लिम और दलित बाहुल्य लोकसभा क्षेत्र आजमगढ़ में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है। अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव यहां से सपा प्रत्याशी हैं। बसपा ने मुबारकपुर के पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को प्रत्याशी बनाया है जबकि भाजपा ने भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ पर फिर से दांव लगाया है। आजमगढ़ में इस बार कमल खिलाने के लिए भाजपा ने चुनाव प्रचार में पूरी दम झोंक दी। सपाइयों का दावा है कि 2022 के विधानसभा चुनाव की तरह उपचुनाव में बीजेपी को यहां शर्मनाक हार का सामना करना पड़ेगा, जबकि बसपा के गुड्डू जमाली खुद की जीत का दावा कर रहे हैं।

मुस्लिम मतदाता तय करेंगे हार-जीत
आजमगढ़ लोकसभा सीट पर करीब 19 लाख मतदाता हैं, जिनमें सबसे ज्यादा करीब 26 फीसदी यादव मतदाता हैं। करीब 20-20 फीसदी मुस्लिम और दलित मतदाता हैं। राजभर व अन्य मतदाता भी बड़ी तादाद में हैं। सपा और भाजपा ने यादव कैंडिडे़ट को चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि बसपा ने मुस्लिम कैंडिडेट पर दांव लगाया हैं। ऐसे में जिस तरफ मुस्लिम वोटरों का रुझान होगा, पलड़ा उसका भारी होगा, लेकिन अगर सपा-बसपा में मुस्लिम वोटरों का बराबर बराबर बंटवारा हुआ तो फायदा बीजेपी को पहुंच सकता है। चुनाव प्रचार के स्थानीय बनाम बाहरी के मुद्दा भी खूब सुर्खियों में रहा। फिलहाल यहां मुकाबला त्रिकोणीय है।

सपा-बसपा में रही है कांटे की टक्कर
आजमगढ़ लोकसभा सीट पर अब तक 19 बार चुनाव हुए हैं, जिनमें से अधिक 7 बार कांग्रेस जीती है। 4-4 बार सपा और बसपा को जीत मिली है। 2 बार जनता पार्टी और 1-1 बार भाजपा और जनता दल को जीत मिली है। पिछले 8 चुनावों की बात करें तो 4 बार सपा, 3 बार बसपा और 1 बार भाजपा को जीत मिली है।

आजमगढ़
कुल प्रत्याशी-12
कुल वोट- 18,38,930
प्रमुख प्रत्याशी
भाजपा- दिनेश लाल यादव उर्फ ‘निरहुआ’
सपा- धर्मेंद्र यादव
बसपा- गुड्डू जमाली