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UP Elections 2022: क्या है पांचवें चरण का वोटिंग ट्रेंड, किसका पलड़ा है भारी?

लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण में 57.26 फीसदी मतदान हुआ है जो 2017 के मुकाबले थोड़ा कम है। इस चरण में 692 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें सूबे के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या सहित योगी के छह मंत्री हैं। राम मंदिर मुद्दे के साथ ही आस्था की परख भी इसी चरण में होगी। पांचवें चरण में रामनगरी अयोध्या से लेकर प्रयागराज और चित्रकूट जैसी धार्मिक नगरी में मतदान हुआ है। यहां बीजेपी का असल इम्तिहान है क्योंकि 2017 में बीजेपी ने एकतरफा जीत दर्ज करते हुए इन जिलों की 19 विधानसभा में से 16 सीटें बीजेपी गठबंधन ने जीती थी जबकि सपा को एक और बसपा को दो सीटें मिली थी। इस बार चित्रकूट में बंपर वोटिंग (63.50%) हुई है जबकि पिछली बार यह 60.61 फीसद था। प्रयागराज में 53.77% और अयोध्या में 61.00% मतदान हुआ है जो बीते चुनाव के मुकाबले थोड़ा कम है। यहां शहरी क्षेत्रों में मतदान कम हुआ है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ा है। जैसे- अयोध्या में अगर 54.50 फीसद वोटिंग हुई, तो उसके ग्रामीण क्षेत्र बीकापुर में 60.84 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। इस चरण में कई जिलों में दलित मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो सूबे के बदले समीकरणों के बीच यहां पिछला प्रदर्शन दोहरा पाना आसान नहीं होगा।

क्या कहता है वोटिंग ट्रेंड?
पांचवें चरण में 12 जिलों की 61 विधानसभा सीटों पर 57.26 फीसदी मतदान हुआ है। 2017 में इन्हीं सीटों पर 58.24 फीसदी और 2012 में 55.12 फीसदी वोटिंग हुई थी। 2012 में पांचवें चरण की 61 में 41 सीटें सपा को 07 भाजपा और 06 कांग्रेस को मिली थीं, लेकिन जब 2017 में तीन फीसदी वोट प्रतिशत बढ़ा तो बीजेपी को सीटें बढ़कर 50 और सपा की घटकर 05 पर आ गई थीं। पिछले तीन चुनावों के वोटिंग पैटर्न का विश्लेषण करें तो वोट प्रतिशत बढ़ने का फायदा विपक्षी दलों को मिला है। बीते तीन विधानसभा चुनावों का आंकलन करें तो पता चलता है कि जब-जब वोट प्रतिशत बढ़ा है, सत्तारूढ़ दल को नुकसान ही हुआ है। परंपरागत तौर पर जानकार भी मानते रहे हैं कि अधिक वोटिंग आमतौर पर बदलाव को लेकर होती है।

दलित बाहुल्य जिलों में बढ़ा मतदान
पांचवें चरण में जिन 12 जिलों में वोटिंग हुई है, वहां, औसतन 24 फीसदी दलित वोटर हैं, लेकिन चार जिले ऐसे हैं जहां 26 से 36 फीसदी तक हैं। इसमें जाटव और पासी सबसे अहम है। कौशांबी में 36 फीसदी दलित वोटर हैं, जिनमें पासी बिरादरी की संख्या ज्यादा है। यहां इस बार वोट प्रतिशत (59.56%) बढ़ा है। रायबरेली, अमेठी, बाराबंकी में 30 फीसदी दलित जाति के वोटर हैं, जिसमें पासी समुदाय सबसे अहम है। इन पासी बहुल सीटों पर वोटिंग औसत से ज्यादा रही है। बाराबंकी में इस बार सबसे अधिक 68.45 फीसदी मतदान हुआ है। रायबरेली में 56.60 फीसद और अमेठी में 55.86 फीसदी मतदान हुआ है। बहराइच और श्रावस्ती में मुस्लिम वोटर 30 फीसदी के करीब है।

अब तक 292 सीटों पर मतदान
403 विधानसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में अब तक पांच चरणों में 292 विधानसभा सीटों पर मतदान हो चुका है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इनमें से 241 सीटें जीती थीं। अब सिर्फ पूर्वांचल की 111 सीटों पर वोटिंग बाकी है। इनमें छठे चरण में 57 और सातवें चरण में 54 सीटों पर मतदान होगा। चुनाव परिणाम 10 मार्च को आएगा। इस बार सत्तारुढ़ दल बीजेपी और समाजवादी पार्टी सहित सभी दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। राजनीतिक जानकार भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला मान रहे हैं। कई सीटों पर बसपा और कांग्रेस भी मजबूत स्थिति में है।

यूपी में अब तक मतदान प्रतिशत
पहला चरण- 60.17 फीसदी
दूसरा चरण- 64.42 फीसदी
तीसरा चरण- 60.46 फीसदी
चौथा चरण- 61.52 फीसदी
पांचवां चरण- 57.26 फीसदी